उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र मान्यताओं से भरे पड़े हैं यही कारण है कि गंगोत्री विधानसभा सीट की विजयी पार्टी की प्रदेश में 60 वर्षों से सरकार बनती आ रही है। उत्तरकाशी जिले की गंगोत्री सीट को लेकर चाहे संयोग समझें या चमत्कार, हकीकत यही है कि जिस भी दल का उत्मीदवार यहां से चुनाव जीतता आया है उसकी प्रदेश में सरकार बनती आई है। यह परंपरा वर्ष 1958 से लेकर अब तक चलती आ रही है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भी अपने सिटिंग उम्मीदवार को मौका दिया, तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी भी अपने पूर्व विधायक गोपाल रावत को मैदान में उतारी हैं।
लिहाजा गंगोत्री सीट पर जो चुनावी द्वंद्व को लेकर भाजपा, कांग्रेस के साथ—साथ आम लोग भी उत्साहित हैं। अब देखना है कि यह सीट 2017 में भी इतिहास दोहरा पाएगी।
वर्ष 1958 में यूपी का हिस्सा रहे टिहरी जिले के उत्तरकाशी सीट से कांग्रेस के रामचंद्र उनियाल विधायक बने, तो राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी। इसके बाद तीन बार कांग्रेस के कृष्ण सिंह विधायक बने, तो प्रदेश में तीनों बार कांग्रेस की सरकार बनी।
1974 में उत्तरकाशी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए घोषित होने पर यहां कांग्रेस नेता बलदेव सिंह आर्य विधायक बने, तब भी राज्य में कांग्रेस सत्ता में आयी।
वहीं आपातकाल के बाद भी जनता पार्टी अस्त्तिव में आई और जनता पार्टी के बर्फिया लाल जुवाठा चुनाव जीते और राज्य में जनता पार्टी की सरकार बनी। ऐसे में उत्तरकाशी सीट से जुड़े इस मिथक को बनाए रखने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों ने ही गंगोत्री विधानसभा पर हमेशा अपनी पूरी ताकत से चुनाव लड़ी है।
वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद विधानसभा सीटों के परिसीमन से उत्तरकाशी विधानसभा जौनसार, टिहरी, पुरोला, यमुनोत्री और गंगोत्री चार विधानसभा सीटों में बंट गया।
वर्ष 2002 में राज्य में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के विजयपाल सजवाण कांग्रेस से जीत कर विधानसभा में पहुंचे, वर्ष 2012 में दोबारा फिर कांग्रेस के विजयपाल के जीतने पर प्रदेश में उन्हीं की पार्टी कांग्रेस की सरकार बनी।