उर्गम घाटी का कल्पेश्वर महादेव मंदिर हिमालय के पंच केदारों में एक है। पंचम केदारों में शुमार 12 माह खुला रहने वाला यह एक मात्र शिवालय है। भगवान कल्पेश्वर में जलाभिषेक के लिए बड़ी संख्या मे श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां भगवान केदार के जटा स्वरूप की पूजा की जाती है। यह मदिर पर्यटन विकास परिषद की नजरों से ओझल है।
-पंच केदार में एक कल्पेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की नजरों से ओझल
यह रमणीक स्थान है। हिमालय के अन्य चार केदार -भगवान केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ और भगवान रुद्रनाथ के कपाट शीतकाल में छह माह के लिए बंद रहते हैं। यहां महा शिवरात्रि पर्व शीतकाल के दौरान ही आयेाजित होता है।
कल्पेश्वर महादेव मंदिर कल्पगंगा के पास है। यहां महादेव गुफा में विराजमान हैं। मंदिर के पास जलकुंड है। यहां अकाल और सूखे के समय भी जल कम नहीं होता। मान्यता है कि इस कुंड के जल से भगवान कल्पेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान कल्पेश्वर महादेव को जटाधर व जटामौलेश्वर नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर तक सड़क की सुविधा है। पहले ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे में हेंलग से करीब 12 किलोमीटर पैदल चलकर यहां पहुंचा जा सकता था।
पंचम केदार भगवान कल्पेश्वर के आचार्य विजय सेमवाल ने शिवभक्तों से महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान कल्पेश्वर महादेव का जलाभिषेक व दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करने का आह्वान किया है। यहां के लोगों ने उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद से शैव सर्किट में इस मंदिर को भी शामिल करने की मांग की है।