महाशिवरात्रि पर शिवयोग का अद्भुत संयोग, शुभ मुहूर्त में करें जलाभिषेक

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महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जारहा है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा के लिए निशीत काल मुहूर्त मध्य रात्रि 12. 08 बजे से लेकर मध्य रात्रि 12. 58 बजे तक रहेगा। महाशिवरात्रि के दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12.10 बजे से दोपहर 12.57 बजे तक है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा अर्चना से मनोकामना पूर्ण होगी।

इस साल की महाशिवरात्रि शिव योग में है। 01 मार्च को शिव योग दिन में 11.18 बजे से प्रारंभ होगा और पूरे दिन रहेगा। शिव योग 2 मार्च को सुबह 8.21 बजे तक रहेगा। शिव योग को तंत्र या वामयोग भी कहते हैं। धारणा, ध्यान और समाधि अर्थात योग के अंतिम तीन अंग का ही प्रचलन अधिक रहा। शिव कहते हैं श्.मनुष्य पशु है पशुता को समझना ही योग और तंत्र का प्रारंभ माना गया है। योग में मोक्ष या परमात्मा को पाने के तीन मार्गों को बताया गया। जागरण, अभ्यास और समर्पण।

इस संबंध में पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री ने बताया कि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 1 मार्च को तड़के 3 बजकर 16 मिनट पर शुरू होकर देर रात 1 बजे तक रहेगी। वैसे तो महाशिवरात्रि के दिन दिनभर पूजा का मुहूर्त होता है, लेकिन रात्रि प्रहर की पूजा के लिए महाशिवरात्रि का मुहूर्त 1 मार्च को मध्य रात्रि 12.08 बजे से मध्यरात्रि 12.58 बजे तक रहेगा। इस बार महाशिवरात्रि के पारण का समय सुबह 2 मार्च सुबह 6.45 बजे तक रहेगा। यानि जो लोग शिवरात्रि का व्रत और जागरण करते हैं वो इस समय के पश्चात भोजन ग्रहण कर सकते हैं। इसी प्रकार महाशिवरात्रि के दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12.10 बजे से दोपहर 12.57 बजे तक है।

उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। धर्म ग्रंथों की मानें तो फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव ने अपने भक्तों को शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए थे। एक कथा के मुताबिक जब सृष्टि की शुरुआत हुई तब ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच अपनी श्रेष्ठता को लेकर बहस हुई। दोनों का विवाद चल रहा था तभी करोड़ों सूर्य की चमक लिए एक विशाल अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ। जिसे देखकर दोनों स्तब्ध रह गए। इस अग्नि स्तंभ से भगवान शंकर ने पहली बार शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए।

शिवपुराण के मुताबिक शिवजी के निराकार स्वरूप का प्रतीक लिंग इसी पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था। इसी कारण यह तिथि शिवरात्रि के नाम से विख्यात हो गई। ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती और शिवजी का विवाह हुआ था। भगवान भोलेनाथ के विवाह के रूप में भी शिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति के मिलन की रात मानी जाती है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया गया है। उन्होंने बताया कि शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर होता है। शिवरात्रि हर महीने होती है, जबकि महाशिवरात्रि साल में एक बार आती है। शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है, और महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है।