शिवालयों में महाशिवरात्रि की धूम,सुबह से ही भक्तों का तांता

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उत्तराखंड के कण कण में भगवान् भोलेनाथ शिव शंकर का वास है ऋषिकेश में कई पौराणिक शिवालय है जीके दर्शन मात्र से भक्तो  की मन्नते पूरी होती है। मणिकूट पर्वत पर नीलकंठ महादेव है तो गंगा तट पर चन्द्रेस्वर ,वीरभद्र और सोमेश्वर महादेव है,जंहा माह शिवरात्रि पर श्रद्धालुओ की भारी भीड़ है।महाशिवरात्रि को भगवन शिव के दिन के रूप में मनाया जाता है।शिव भक्त अपने भगवन को प्रसन्न करने के लिए दूध,गंगाजल,फल-फूल आदि चढ़ाते है और हर तरफ बम-बम भोले की गूंज सुनाई देती है।
ऋषीकेश के पौराणिक शिव मंदिर वीरभद्र महादेव में भी  शिवरात्रि की धूम है। दूर-दूर से आये शिव भक्त अपने अराद्य का जलाभिषेक कर रहे है, सुबह से ही शिवालयो में जलाभिषेक के लिए लम्बी-लम्बी कतारे  लगी हुयी ,श्रद्धालु जलाभिषेक कर पुण्य लाभ कमा रहे है।ऋषीकेश मे पौराणिक महत्व के कई शिव  मंदिर है जिनका उलेल्ख ऋग्वेद के केदार खंड में भी मिलता है साथ ही नीलकंठ महादेव में कल से और देर रात  तक 1 लाख से ज्यादा श्रद्धालु जलाभिषेक कर चुके है। लगातार भीड़ बढ़ने की उम्मीद है । ऋषिकेश में चन्द्रेवश्वर महादेव , वीरभद्र महादेव और पतळालेश्वर महादेव ,सोमेश्वर महादेव में भी श्रद्धालु रुद्राभिषेक  कर रहे है।श्रद्धालु इन पौराणिक मंदिरो में जलाभिषेक कर अपने आराध्य से  कृपा की कामना कर रहे है।ऋषिकेश के वीरभद्र मंदिर से लेकर नीलकंठ महादेव तक शिव भक्तों का तां-तां लगा हुआ है, महाशिवरात्रि के मौके पर देश के कोने -कोने से शिव भक्त अपने अराध्य से मिलने नीलकंठ धाम पहुचते हैं। आपको बता दें की पहाड़ ओर जंगल के बीच बसे इस स्थान पर भगवान शिव खुद विराजमान है ।पौराणिक मान्यता है की यही वो स्थान है जहा भगवान शिव ने विष धारण कर तपस्या की थी ओर वो नीलकंठ महा देव कहलाये थे । यहाँ पहुँचने वाले शिव भक्त बताते है कि यहाँ दर्शन मात्र से ही कल्याण हो जाता है।
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के विवाह का प्रतीक मानी जाती है ऋषिकेश के वीरभद्र मंदिर की कथा भी शिव विविआह से जुडी हुयी है शिवभक्त इस शिवनगरी में दर्शन कर अपने आराध्य को प्रसन्न करने में जुटे हुए है।