गोपेश्वर। उत्तराखंड सरकार ने गैरसैंण के भरारीसैण में 20 मार्च से 28 मार्च तक बजट सत्र तय किया है। इसके लिए शासन से लेकर प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है। मगर राजनीतिक गलियारों और आम जनता तथा आंदोलनकारियों के बीच जिज्ञासा और आशंका है कि यह बजट सत्र चलेगा कितने दिन। यह आशंका इसलिए है कि गैरसैंण में शीतकालीन विधानसभा सत्र भी सात दिनों तक तय था मगर दो दिनों तक ही सत्र चल पाया और सियासत देहरादून लौट गयी थी। गैरसैंण में सरकार का शीतकालीन सत्र दो दिन तक ही चल पाया था।
गैरसैंण बजट सत्र के आयोजन के प्र्रस्ताव को सरकार उत्तराखंड और गैरसैंण प्रेम के रूप में भले ही प्रस्तुत कर रही हो पर गैरसैंण को लेकर चाहे सत्र हो या कैबिनेट.. दोनों दूध के जले के समान ही रहा है। बजट सत्र 20 मार्च से 28 मार्च तक नौ दिन का होना है, इसमें 24 व 25 मार्च को अवकाश है। बजट सत्र की शुरुआत 20 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण के साथ होगी और अपराह्न बाद विधानसभा अध्यक्ष का अभिभाषण होना है। 21 को सदन के समक्ष पत्रादि पटल पर रखे जायेंगे। अध्यादेशों को भी पटल पर रखा जायेगा। औपचारिक कार्य और राज्यपाल के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी। विधायी कार्य भी 21 मार्च होंगे। 22 को राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के बाद वित्त मंत्री प्रकाश पंत बजट को प्रस्तुत करेंगे। 23 को बजट पर चर्चा और शेष तीन दिनों में बजट पर चर्चा, अनुदान मांगों का प्रस्तुतिकरण, विनियोग विधेयक और विधायी कार्य होने है।
गैरसैंण में होने वाला बजट सत्र कितने दिन चलेगा इसके साथ राजनैतिक गलियारियों और लोगों की निगाहें इस बात पर रहेंगी कि बजट सत्र में क्या मिलेगा और इस पर बजट कुल कितना खर्च होगा। अभी तक का जो अनुभव है उसमें जो चार सत्र गैरसैंण में हुए उस पर माननीयों के रहने, खाने, वाहन के साथ-साथ सरकारी अमले की भी इसी व्यवस्था पर खर्च का आकंलन करें तो वह करोड़ों में गया पर यहां पर भी लाख टके का सवाल की सूबे को मिला क्या।
इस बार सरकार के आगे बजट सत्र के दौरान जनता और आंदोलनकारियों की मांग का भी सामना करना पड़ेगा। गैरसैंण को स्थाई राजधानी की मांग को लेकर दिल्ली से लेकर गैरसैंण तक प्रदर्शन, धरना और अनशन हो रहे हैं। अनशनकारियों के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही है, ऐसे मेें गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर आंदोलन और भी तेज होने की संभावना है।
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी पुरुषोत्तम असनोड़ा, माले के इंद्रेश मैखुरी, राजधानी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे मोहित डिमरी, अवतार दानू, लक्ष्मण खत्री, श्रीपाल राम कहते हैं कि गैरसैंण में सत्रों के नाम पर औपचारिता न हो। गैरसैंण राज्य की स्थाई राजधानी हो इस पर सरकार ठोस निर्णय ले।