मिसाल: इस शादी ने लोगों को शराब से होने वाले नुकसान के बारे में सिखाया

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आप ने वो कहावत तो सुनी होगी सूर्य अस्त पहाड़ मस्त, मतलब पहाड़ और शराब का साथ किसी से छुपा नहीं है।आए दिन पहाड़ में शराब की दुकानों को लेकर पहाड़ की महिलाएं संघर्ष करती हैं और यह आम बात है।

लेकिन जब कोई आदमी शराब के खिलाफ कुछ काम करें तो वह काबिले तारीफ होता है। ऐसा ही कुछ किया है गांव पंचायत चौंडजसपुर (मठखाणी) के प्रधान कान्तिराम ने। जी हां पहाड़ के लिए यह बात अटपटी लगेगी लेकिन उन्होंने अपनी बहन कि शादी में शराब कि जगह दूध और जलेबी से अपने महमानो का स्वागत किया। और इस तरह के स्वागत के लिए उन्होंने शादी के कार्ड पर स्पष्ट शब्दों मे लिखवाया था कि शादी में किसी भी तरह के नशा यानि की शराब नही परोसी जायेगी। पहाड़ में इस तरह की शादी शायद ही किसी ने पहले देखी होगी या सुनी होगी।

इस शराब मुक्त शादी के बारे में और बात करते हुए कान्ति राम ने बताया कि “वह शराब मुक्त शादी करने के बारे में पहले ही सोच चुके थे इसलिए शादी के कार्ड पर साफ शब्दों में लिखा था कि शराब करती सब काम खराब। इसके अलावा कार्ड पर शराब से होने वाले कुछ नुकसानों का भी जिक्र किया गया था।” कान्ति ने कहा कि “मेरे हिसाब से किसी ना किसी को इसकी पहल करनी ही थी सो मैने यह पहल कर दी। मेरे इस फैसले के साथ काफी लोग जुड़ रहे हैं और अपने गांव घरों में भी यह बदलाव लाने की बात कर रहे हैं।” समय के साथ इस बदलाव की पहाड़ों को जरुरत भी थी और छोटे से गांव के कांन्ति ने इसकी शुरुआत कर दी है।

लगभग 600 लोगों की इस शादी में एक बूंद शराब का ना परोसा जाना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि हैं। कान्ति ने कहा कि मुझे नहीं लगा कि पूरी शादी में बिना शराब के कोई कमी थी और सभी बाराती हमारे स्वागत से खुश थे।

कान्ति के इस पहल का पहाड़ के दूसरे गांवों पर कितना असर होता है यह तो बाद में ही पता चलेगा लेकिन इस एक शादी ने वहां मौजूद 600 लोगों की सोच में तो बदलाव किया ही होगा और जैसे बूंद-बूंद से तालाब भरता है वैसे ही एक पहल से बदलाव की उम्मीद की जाती है।