ऐसे साधा मन की शांति को इस सरकारी अधिकारी ने

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देहरादून में चल रहे पुस्तक मेले में हर उम्र के लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। ये मेला 28 सितम्बर से 5 सितम्बर तक परेड ग्राउंड में चलेगा। तमाम विषयों की किताबों के इस मेले में पाठकों को अपनी रुची और नये आयामों से जुड़ी किताबों से रूबरू होने का मौका मिल रहा है। मेले में प्रभात प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित, ‘मैडिटेशन के नवीन आयाम’ और ‘आत्म दीप बने’ का भी स्टाॅल लगा है, यह दोनों पुस्तक पोजिटिव थिंकिंग और तनाव प्रबंधन पर आधारित है।

इनके विषय अनुक्रम, कार्मिक एकाउंट, क्रोध,माफी, पेरैंटिग, स्वीकार भाव,डिटैचमेंट, कॉम्पिटिशन, वैल्यू मूल्य, आंतरिक सुंदरता आदि पर अाधारित है। इनके लेखक मनोज श्रीवास्तव बताते हैं कि कैसे मेडिटेशन ने उनका जीवन परिवर्तित किया।

manoj shrivastav

मनोज कहते हैं कि, “मार्च 2015 से रोजना आधे घंटे मैनें मैडिटेशन करना शुरु किया, इससे मेरे जीवन पर खासा अच्छा असर पड़ा।” और यहीं से उन्हें अपने अनुभवों को लोगों के साथ साझा करने की प्रेरणा मिली। वो कहते हैं कि, “मैडिटेशन से नेगेटिव थॉट खत्म होते है और हमारी एनर्जी बचती है।”

और इसी पोजिटिव एनर्जी का नतीजा रहा 197 पन्नों की ये किताब। ध्यान करने के सिद्दातों पर आधारित ये किताब लोगों के बीच खासी पसंद की जा रही है। गौरतलब है कि यह किताब मनोज ने केवल 45 दिन में लिख डाली। मनोज का मानना हैं कि ये पल उनके लिये किसी सपने के सच होने जैसा है।

उनकी दूसरी किताब ‘आत्म दीप बने’ का अंग्रीजी संस्करण ‘Be your own light’ के नाम से बाजार में है। इसका अंग्रेजी अनुवाद पत्रकार राधिका नागरथ ने किया है।

नई पीढ़ी को मनोज यही संदेश देते हैं कि अगर वो सही लगन से मेडिटेशन करें तो वो अपने जीवन में एक बहुत सकारातमक बदलाव ला सकते हैं।

इन दिनों मनोज अपनी तीसरी किताब पर काम कर रहे हैं। ये किताब जीवन में निर्णय लेने की प्रक्रिया को और आसान बनाने के बारे में हैं।