मातृ सदन ने मुख्यमंत्री समेत 150 के खिलाफ दर्ज कराया मुकदमा

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हरिद्वार,  मातृ सदन में साध्वी गंगा की अविरल निर्मलता को लेकर अनशनरत पद्मावती को देर रात्रि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के जबरन अनशन से उठाने और उन्हें दून चिकित्सालय में भर्ती कराने जाने के मामले में स्वामी शिवानंद के शिष्य ब्रह्मचारी दयानंद की ओर से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत 150 पुलिस, प्रशासनिक और स्वास्थ्य अधिकारियों-कर्मियों के खिलाफ सीजीएम कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
इनमें मुख्यरूप से एसडीएम कुसुम चौहान, कनखल एससो विकास भारद्वाज, मुख्य चिकित्सा अधिकारी सरोज नैथानी, तहसीलदार लक्सर सुनैना राणा, चौकी इंचार्ज जगजीतपुर लाखन सिंह समेत 150 पुलिसकर्मी शामिल हैं। साध्वी पद्मावती विगत 47 दिनों से मातृ सदन में गंगा रक्षा के लिए अनशन कर रहीं थीं, लेकिन उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा था।
ब्रह्मचारी दयानंद ने अधिवक्ता अरुण भदौरिया के माध्यम से कोर्ट में शुक्रवार को याचिका दायर की गई। इसकी सुनवाई करते हुए सीजेएम कोर्ट ने 14 फरवरी की तारीख तय की गई। आरोप है कि इन सभी ने मातृ सदन में अनशन कर रही साध्वी पद्मावती को जबरन उठाया और अस्पताल में भर्ती कराया है।
सीजीएम कोर्ट में दायर की गई याचिका में बताया कि उनकी गुरु बहन साध्वी पद्मावती ने अपने गुरु भाई ब्रहमचारी आत्मबोधानन्द के साथ गंगाजी के लिए दिल्ली से आए अधिकारियों के किये गये वादों को पूर्ण न करने के कारण शासन-प्रशासन को सूचना दिए जाने के बाद 15 दिसम्बर 2019 से मातृ सदन में संवैधानिक दायरे में उक्त वादे को पूर्ण करने के लिए आमरण अनशन आरम्भ किया था। साध्वी ने बताया कि 28 से 30 जनवरी 2020 तक दिन-रात अत्याधिक ध्वनि प्रदूषण होने के कारण साध्वी पद्मावती को एसिडिटी की शिकायत हुई। 30 जनवरी को जिला चिकित्सालय की टीम को साध्वी ने बताया कि उन्हें एसिडिटी हो रही है। इसके बाद डाक्टरों ने साध्वी को दवाई दी। आरोप है कि 30 जनवरी की रात को साध्वी पूर्ण स्वस्थ थीं। इसके बावजूद मुख्य चिकित्साधिकारी ने अपने सहयोगियों के साथ उनके स्वास्थ्य की फर्जी रिपोर्ट बनाई।
आरोप है कि इसके बाद 30 जनवरी की रात 11 बजे विपक्षीगणों ने साध्वीपद्मावती की तपस्थली एवं विश्राम कक्ष में जबरदस्ती दरवाजे को तोड़कर प्रवेश किया गया और साध्वी को जबरदस्ती आश्रम से उठाकर ले जाकर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। ऐसे में साध्वी पद्मावती की भी हत्या होने का अंदेशा है। क्योंकि गंगा रक्षा के लिए अनशन कर रहे स्वामी निगमानंद तथा स्वामी सानंद को भी जबरन अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी मौत हो गई थी। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 14 फरवरी तय की है।