फल व सब्जी उत्पादन में उच्च तकनीकी के उपयोग पर बैठक

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देहरादून। द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) उत्तराखंड स्टेट सेंटर एवं उद्यान विभाग की ओर से ‘फल एवं सब्जी उत्पादन में उच्च तकनीकी का उपयोग’ विषय पर राष्ट्रीय सेमीनार आयोजित हुआ। इस दौरान मुख्य अतिथि उद्यान एवं कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि कृषि में आय बढ़ाने में अधिक मेहनत की जरूरत है। लेकिन, औद्यानिक फसलों के माध्यम से कृषक अपनी आय कई गुणा बढ़ा सकते हैं। हिमाचल हमारे सामने आदर्श उदाहरण है और ये कड़वी सच्चाई है कि हम हिमाचल के सामने कहीं भी नहीं ठहरते।

इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) उत्तराखंड स्टेट सेंटर के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार फूलों और बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। अगर हमें पलायन को रोकना है तो कृषि और औद्यानिकी को बढ़ावा देना होगा। इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स उत्तराखंड स्टेट सेंटर के संयोजक नरेंद्र सिंह ने कहा कि यह सेमीनार गुणवत्तायुक्त सब्जी और फूलों के उत्पादन से कृषकों की आय बढ़ाने में कारगर सिद्ध होगा। उत्तराखंड लॉवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन भारद्वाज ने कहा कि फूलों की खेती के लिए उत्तराखंड का मौसम पूरी तरह अनुकूल है। यहां से दिल्ली सिर्फ पांच घंटे की दूरी पर है, बिजली और पानी भी पर्याप्त है। उन्होंने उद्यान मंत्री से मांग करते हुए कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप बनाए जाएं, जिसमें कृषकों के साथ उद्यान विशेषज्ञ भी जुड़ें। इसके माध्यम से कृषकों की समस्याओं का निदान किया जाए। उद्यान निदेशक आरसी श्रीवास्तव ने कृषकों को विभिन्न योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। साथ ही हर जिले से पांच-पांच प्रगतिशील कृषकों को पुरस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम में उद्यान के पूर्व निदेशक बीएस नेगी, सिंचाई के विभागाध्यक्ष आदित्य कुमार दिनकर, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) उत्तराखंड स्टेट सेंटर के अध्यक्ष आरवीएस चौहान, सचिव वीके सक्सेना आदि मौजूद रहे।

सेमीनार में यह निकला निष्कर्ष
– कृषि क्षेत्र में सब्जी-फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जाए।
– ग्रामीण बुनियादी ढांचे में सुधार हो।
– औद्यानिक फसलों का बाजार से प्रभावी संपर्क बनें।
– मृदा रहित सब्जी उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए।

बेमानी हो जाएगी राज्य गठन की अवधारणा
उद्यान एवं कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पलायन के चलते पर्वतीय क्षेत्रों के गांव खाली हो रहे हैं। इसी का नतीजा है कि पर्वतीय क्षेत्रों से छह विधानसभा सीटें कम हो गई। एक विधायक कम से कम एक साल में दस करोड़ से अधिक के विकास कार्य कराता है। अगर पलायन नहीं रुका तो आगामी परिसीमन में पर्वतीय क्षेत्रों से विधानसभा की सीटें और कम होंगी। इससे राज्य गठन की अवधारणा बेमानी हो जाएगी।