देहरादून। मेट्रो रेल परियोजना को सुव्यवस्थित बनाने के लिए अभी डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को स्वीकृति मिलने में थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। अब परियोजना की डीपीआर को कैबिनेट में रखने से पहले उसका कॉम्प्रेहेंसिव मोबिलिटी प्लान (व्यापक गतिशीलता योजना) तैयार किया जाएगा। मार्च माह तक प्लान तैयार हो जाएगा और फिर डीपीआर को कैबिनेट में रखा जाएगा।
उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी के मुताबिक देहरादून से हरिद्वार व ऋषिकेश तक के मेट्रोपोलिटन क्षेत्र का कॉम्प्रेहेंसिव मोबिलिटी प्लान तैयार करने का निर्णय लिया गया है। इसकी जिम्मेदारी शहरी विकास मंत्रालय के संयुक्त उपक्रम मास ट्रांजिट कंपनी को दी गई है। कंपनी प्लान के तहत मेट्रो की संभावनाओं के साथ ही हर तरह के नागरिक यातायात की संभावनाओं का सर्वे किया जाएगा। इसमें बस, बिक्रम, ऑटो आदि भी शामिल किए गए हैं। पता लगाया जाएगा कि यातायात के लिहाज से मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में लोगों का आवागमन किस तरफ अधिक रहता है और कहां किस तरह के यातायात साधन विकसित किए जाने चाहिए। ताकि मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में यातायात का विकास संतुलित ढंग से हो सके।
पहले फेज के लिए दो माह का समय
मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक त्यागी ने बताया कि पूरे मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में मोबिलिटी प्लान तैयार करने के लिए सात माह की अवधि रखी गई है। हालांकि परियोजना के पहले फेज में दून के दो मेट्रो कॉरीडोर का निर्माण किया जाना है, लिहाजा कंपनी से आग्रह किया गया है कि पहले फेज का प्लान दो माह में तैयार कर दिया जाए। इससे डीपीआर स्वीकृति को सात माह का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पहले फेज के दो कॉरीडोर की लंबाई करीब 24 किलोमीटर रखी गई है और इस पर करीब 3,372 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वर्ष 2021-22 तक पहले फेज का निर्माण भी पूरा कर लिया जाएगा और इसके बाद अगले फेज में शेष परियोजना पर काम किया जाएगा।
इस तरह आकार लेनी परियोजना
पहला फेज :आइएसबीटी-कंडोली/राजपुर, लागत 1760 करोड़ रुपये। एफआरआइ-रायपुर, लागत 1612 करोड़ रुपये।
दूसरा फेज :हरिद्वार-ऋषिकेश लागत 4740 करोड़ रुपये। आइएसबीटी-नेपाली फार्म, लागत 5026 करोड़ रुपये।
अगले वित्तीय वर्ष के लिए मांगे 250 करोड़ : उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने अगले वित्तीय वर्ष मार्च 2018 से परियोजना को गति देने की तैयारी कर ली है। इसके लिए कॉर्पोरेशन ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए राज्य सरकार से करीब 250 करोड़ रुपये की मांग की है। उम्मीद की जा रही है कि डीपीआर स्वीकृति मिलने के बाद इस राशि का प्रावधान भी बजट में कर दिया जाएगा।