जिला उपभोक्ता फोरम ने मंगलवार को मेट्रो हॉस्पिटल के प्रबन्धक और बीमा कंपनी को उपभोक्ता सेवा में कमी करने व लापरवाही बरतने का दोषी मानते हुए 13 लाख का जुर्माना लगाया है। शिकायतकर्ता को इलाज धनराशि, डिलीवरी राशि, बच्ची के पालन पोषण और मानसिक कष्ट व पीड़ा की क्षतिपूर्ति के रूप में 13 लाख रुपये शिकायतकर्ता महिला को एक माह की अवधि में देने के आदेश दिए हैं।
शिकायतकर्ता बबीता पत्नी संजीव कुमार निवासी ग्राम अस्करीपुर चांदपुर बिजनौर (उप्र) हाल निवासी सुभाषनगर ज्वालापुर, हरिद्वार ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार, प्रबन्धक और उसकी महिला चिकित्सक तरुश्री, मेट्रो हॉस्पिटल एंड हार्ट इंस्टीट्यूट सिडकुल और प्रबन्धक, दी ओरियंटल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, नई दिल्ली के खिलाफ एक लिखित शिकायत फोरम में दी थी।
शिकायत में बताया था कि शिकायतकर्ता महिला ने वर्ष 2015 में शिकायतकर्ता ने दूसरे बच्चे की डिलीवरी के बाद हॉस्पिटल की डॉक्टर से नसबंदी कराई थी। महिला डॉक्टर ने उसे सही इलाज करने के बाद डिस्चार्ज कर दिया था लेकिन नसबंदी होने के दो साल दो माह बाद शिकायतकर्ता गर्भवती हो गई थी। उसका इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा था। जहां निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने अक्टूबर, 2017 में उसकी डिलीवरी बताई थी। शिकायतकर्ता की तबियत खराब होने पर उसे हायर सेंटर रेफर किया गया था, जिसके बाद शिकायतकर्ता महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया था। शिकायतकर्ता महिला ने मेट्रो हॉस्पिटल की महिला डॉक्टर पर नसबंदी का इलाज करने में लापरवाही का आरोप लगाया था। शिकायतकर्ता ने चिकित्सक व हॉस्पिटल प्रबंधन से जानकारी ली थी। इन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया था।
शिकायत की सुनवाई के बाद जिला उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष कंवर सैन, सदस्य अंजना चड्ढा व विपिन कुमार ने प्रबन्धक, मेट्रो हॉस्पिटल व बीमा कंपनी को उपभोक्ता सेवाओं में कमी व लापरवाही का दोषी ठहराते हुए शिकायतकर्ता को इलाज राशि, डिलीवरी व अन्य खर्च राशि दो लाख रुपये व नवजात बच्ची के पालन पोषण के दस लाख रुपये और मानसिक कष्ट व पीड़ा की क्षतिपूर्ति के रूप में एक लाख रुपयेे देने के आदेश दिए हैं। साथ ही शिकायतकर्ता शिकायत दाखिल करने से लेकर वर्तमान तक उक्त धनराशि पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज लेने का अधिकारी होगा। फोरम ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर कोई आरोप नहीं होने पर उनके खिलाफ शिकायत निरस्त कर दी है।