पिथौरागढ़, पलायन पहाड के लिए नासुर बन गया है, भले ही पलायन को रोकने के लिए सरकार बडे बडे दावे करती हो मगर योजनाए सिर्फ कागजी तक ही सिमित रहती हैफाइलों से आगे कभी योजनाए बढ़ नहीं पातीं और गांव खाली हो जाते हैं। चीन सीमा से लगे गांवों से होने वाला पलायन तो समझ में आता है परंतु पश्चिमी छोर पर बसे जिले के पहले गांव का खाली होना कई सवाल छोड़ रहा है। बागेश्वर की सीमा से सटा एक गांव महज इस लिए खाली हो गया क्योंकि आज भी बिजली की रोशनी यहां नहीं पहुंच पाई। 56 परिवारों वाले गांव में अब केवल 11 परिवार ही रह गए हैं।
तहसील गणाईगंगोली के अंतर्गत आने वाला सीमा गांव दो जिलों की सीमा पर है। एक तरफ पिथौरागढ़ तो दूसरी तरफ बागेश्वर। आजादी के 71 साल बाद भी इस गांव तक बिजली नहीं पहुंची है। आसपास के गांवों में चार दशक पूर्व बिजली आ चुकी थी। सीमा गांव का नसीब ऐसा रहा कि यहां तक न तो बिजली के तार खींचे और नहीं सड़क बन सकी है। बिजली के चलते गांव से एक-एक कर परिवार पलायन कर रहे हैं। गंगोलीहाट विधायक मीना गंगोला कहती हैं कि सीमा गांव उनका पड़ोसी गांव है। इस गांव के दर्द को उन्होंने जाना है। गांव तक बिजली और सड़क पहुंचाना मेरी प्राथमिकता है। बिजली के लिए ऊर्जा निगम से बात कर दी गई है। सड़क पहुंचाने के लिए सर्वे करा दिया गया है। शीघ्र सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ होगा। गांव से हो रहा पलायन दुखदाई है।