समय से पहले प्रवासी पक्षियों ने दी दस्तक

0
1437

हरिद्वार, अभी मौसम ने पूरी तरह से अंगड़ाई भी नहीं ली है कि विदेशी मेहमानों का धर्म नगरी हरिद्वार की धरा पर आना शुरू हो गया है। बल्कि परिंदों ने हरिद्वार जलीय इलाकों में अपनी खूबसूरती से चहचाहट बिखरना शुरू कर दिया है। परिंदों के संगीत को सुनने के लिए राहगीर भी अपने कदमों को थाम लेते है।

परिंदों की गीत-संगीत को सुनने के लिए गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के जंतु एवं पर्यावरण विभाग के वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश चंद्र भट्ट की शोध टीम ने अलग-अलग स्थानों की विजिट की है। पेलिआर्कटिक क्षेत्र में शामिल मध्य एशिया, मंगोलिया, चीन, साइबेरिया व रूस के पूर्वी क्षेत्रों से आने वाले प्रवासी पक्षियों की कुछ प्रजातियां हरिद्वार के गंगा तटों पर पहुंच चुकी है। गुरुकुल कांगड़ी विश्विद्यालय के वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने बताया की प्रवासी पक्षियों की कुछ प्रजातियों जल काग, ब्लैकविंग इस्लिट, रीवर लैपविंग आदि अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में ही हरिद्वार पहुंच चुकी थी। जबकि चकवा-चकवी का एक समूह रविवार ही हरिद्वार के गंगा तटों पर पहुंचा है। प्रोफेसर भट्ट ने बताया कि दूर देश से आए अन्य मेहमानो में इंडियन स्पॉटबिल्ड़ डक, वैगटेल यानी सुन्दर नेत्रों वाली खंजन, सैंड पाइपर, पलास गल्ल,रीवर टर्न, रेड़नेप्पड़ आइबिस और पिनटेल आदि भी हरिद्वार पहुंच चुके हैं। वहीं टील्स व मैलार्ड का समूह जल्द पहुंचेगे।

मानसरोवर झील से उड़ान भर चुके राजहंस के दीदार भी नवंबर अंत तक हरिद्वार वासियों को हो सकेगे। प्रो. भट्ट ने बताया कि हिमालय के शिखरों से हरिद्वार व मैदानी क्षेत्रों में पहुंचने वाले पक्षियों में वैगटेल यानी सुन्दर नेत्रों वाली खंजन, रेड-स्टार्ट, वारबलर व फ्लाई कैचर की कई प्रजातियां हैं। प्रो, भट्ट ने बताया की अब तक प्रवासी पक्षियों की दस प्रजातिया हरिद्वार पहुंच चुकी है। इन प्रजातियों में से सात प्रजातियां मिस्सरपुर के गंगा घाटों पर पहुंची जबकि प्रवासी पक्षियों की केवल तीन प्रजातियां ही भीमगोडा बैराज में पहुंची हैं। विगत वर्षो की तुलना में इस वर्ष प्रवासी पक्षी लगभ्ग दस दिन पूर्व ही पधार चुके हैं, यह दर्शाता है की जलवायु परिवर्तन का प्रभाव प्रवासी पक्षियों के आवागमन पर भी पड़ता है।

डॉ. भट्ट ने बताया कि,” प्रवासी पक्षियों पर यह शोध कार्य हरिद्वार में मिस्सरपुर गंगा तट, भीमगोडा बैराज एवं देहरादून में आसन कंजर्वेशन रिजर्व में आने वाली प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों पर किया गया। कनाडा में आयोजित अंतररष्ट्रीय पक्षी विज्ञान सम्मेलन में ज्ञात हुआ की प्रवासी पक्षियों की चोंच में जिओमेनेटिक सेंसर्स पाये जाते है , जिसके माध्यम से इन पक्षियों को अपने सही प्रवास मार्ग का ज्ञान होता है। प्रो. दिनेश भट्ट के अनुसार विश्व में सर्वाधिक दूरी तय करने वाला पक्षी आर्कटिक टर्न है।”