ऋषिकेश। स्पीक मैके संस्था 40 वर्षों से भारतीय संस्कृति और संगीत को बढ़ावा देने का काम कर रही है इसी कड़ी में भरत मंदिर स्कूल में स्कूली बच्चों को मिश्रा बन्दुओं ने भारतीय संस्कृत संगीत से रूबरू कराया, और स्कूली बच्चों ने भी उनके संगीत को जमकर पसंद किया
बनारस घराने से निकल कर मिश्रा बंधु पूरे विश्व में भारतीय संगीत को एक नई पहचान दिला रहे हैं, स्पिक मेके के तत्वाधान में हिंदुस्तानी संगीत कार्यक्रम का आयोजन ऋषिकेश के एसबीएम पब्लिक स्कूल में किया गया। रितेश मिश्रा ने विभिन्न रागों के जरिए छात्रों को मंत्रमुग्ध किया, वहीं तबले पर रजनीश मिश्रा और हारमोनियम पर कांता प्रसाद ने उनका साथ दिया। रितेश व रजनीश ने राग भैरव की विभिन्न प्रस्तुतियों से खूब वाहवाही लूटी साथ ही उन्होंने छात्रों को शास्त्रीय संगीत की बारीकियां भी सीखाई।
आपको बता दें की मिश्रा बंधू की शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुई है, घर में भारतीय संस्कृत का माहौल बचपन से ही मिला और उसी के साथ अपने घराने की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. भारतीय राग में ख्याल, तप्पा ,तराना ,भजन और अन्य संस्कृति कलाओं में हर जगह अपनी आवाज का जादू बिखेर देते हैं पूरे विश्व भर में इनके अलग-अलग कार्यक्रम होते हैं. अपनी आवाज से सबको मंत्रमुग्ध कर देते हैं, इन्हें युवा रत्न अवार्ड 1999 और भविष्य ज्योति अवार्ड 2007 संगीत नाटक अकादमी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान अवार्ड 2008 और संगीत समृद्धि सम्मान 2010 में प्राप्त है. उनहोने साथी यंग जनरेशन को मैसेज देते हुए कहा कि स्कूल और कॉलेज में इस तरह के कार्यक्रमों की जरूरत है जिससे हम अपने भारत की संस्कृति और परंपरा को नई जनरेशन के साथ बैठ सकें और भारतीय संगीत की पहचान करा सके ऋषिकेश पहुंच कर उन्हें बहुत अच्छा लगा और कहा कि ऋषिकेश में एक अलग सा आभामंडल है जो उंहें आकर्षित करता है.
ऋषिकेश पहुंचे मिश्रा ब्रदर्स का कहना है की आज कल के नौजवान क्लासिकल संगीत से दूर भाग रहे है ऐसे में जरुरत है तो युवाओं को देश की असल संस्कृति से रूबरू कराना।