त्रियुगीनारायण ट्रेक पर लापता हुए चारों यात्री मिल चुके हैं और एसडीआरएफ की टीम के साथ हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने लापता यात्रियों के जल्द रेस्क्यू करने के निर्देश दिये थे। बचाव कार्य में एसडीआरएफ की पांच टीमें लगाई गई थीं। आज दोपहर में चारों यात्रियों से सम्पर्क हो गया था। उनकी लोकेशन का पता चलने के बाद एसडीआरएफ की टीम उन तक पहुंच गई और फिलहाल उन्हें सुरक्षित रूप में त्रियुगीनारायण की ओर लाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बचाव में लगे एसडीआरएफ के जवानों को बधाई दी है।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिलान्तर्गत वासुकी ताल इलाके में ट्रैकिंग के लिए गए चार ट्रैकर मंगलवार को लापता हो गए, जिन्हें ढूंढने के लिए एसडीआरएफ की टीमें लगाई गई । इनकी खोजबीन के लिए हेलीकॉप्टर का सहारा भी लिया गया। हालांकि इलाके में मौसम अत्यधिक खराब होने के कारण सर्च टीम को सफलता नहीं मिल पाई।
इन टीमों में केदारनाथ से त्रियुगीनारायण रूट पर पांच एसडीआरएफ, दो पुलिसकर्मी और दो पोर्टर भेजे गए। सोनप्रयाग मून कुटिया से वासुकी ताल रूट पर पांच एसडीआरएफ, दो गाइड जिला आपदा सदस्य भेजे गए । इसके अलावा वायु मार्ग से एसडीआरएफ माउंटेनिरिंग टीम का सदस्य विजेंदर कुड़ियाल सहस्त्र धारा हेलीपैड से हेलीकॉप्टर के माध्यम से रवाना हुआ। लापता ट्रैकर्स के नाम हिमांशु गुरुंग, हर्ष भंडारी, मोहित भट्ट और जगदीश बिष्ट हैं। इनका सम्भावित पता जनपद नैनीताल और देहरादून है।
वासुकी ताल का रूट अत्यंत जोखिम भरा है। मौसम यहां अक्सर साथ नहीं देता है। केदारनाथ धाम (11300 फीट) से लगभग 8 किलोमीटर दूर वासुकी ताल (13300 फीट) एक बेहद खूबसूरत छोटी झील है। केदारनाथ से वासुकी ताल पंहुचने के लिए मंदाकिनी के तट से लगे पुराने घोड़ा पड़ाव से होते हुए दूध गंगा के उद्गम की ओर सीधी चढ़ाई चढ़नी होती है। नाक की सीध में 4 किमी की चढ़ाई चढ़कर खिरयोड़ धार (सबसे ऊंची जगह) के बाद पहली बार खुला मैदान दिखता है। यहां से 2 किमी हल्की चढ़ाई के बाद केदारनाथ-वासुकी ताल ट्रैक की सबसे ऊंचाई वाली जगह जय-विजय धार (14000 फीट) आती है। इस जय-विजय धार से लगभग 200 मीटर उतरकर वासुकी ताल के दर्शन होने लगते हैं। आगे की 2 किमी की दूरी पर बड़े-बड़े पत्थरों के बीच पैरों को संतुलित करना बेहद मुश्किल काम है।