चमोली जिला चिकित्सालय में बिना उपयोग के करोड़ की लागत से बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिये खरीदा गया सचल चिकित्सा वाहन कबाड़ में तब्दील हो गया है। सरकार द्वारा वर्ष 2009 में एक करोड़ रुपये की लागत से सचल चिकित्सा वाहन का संचालन शुरू किया गया था।
यह वाहन एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और सामान्य जांच के साथ ही छोटे आपरेशन की सुविधाएं से लैस था। वाहन संचालन के लिये शासन की ओर से राजभरा मेडिकेयर प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली से पांच वर्षों के लिये अनुबंध किया गया। कंपनी को वाहन का संचालन अक्टूबर 2014 तक करना था। कंपनी प्रबंधन ने वाहन के खराब होने की बात कहते हुए अक्टूबर 2013 में संचालन बंद कर उसे जिला चिकित्सालय परिसर में खड़ा कर दिया। तब से इसका संचालन शुरू नहीं हो पाया है।
गौरतलब है कि कोरोना काल में जहां एक तरफ शासन और प्रशासन करोड़ों रुपये खर्च कर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाऐं देने की बातें कर रहा है, वहीं, जर्जर हो चुका यह वाहन राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली औऱ इसके प्रति उदासीनता को साफ करता है।