देहरादून, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने अपने चार दिवसीय प्रवास के पहले दिन प्रदेश व देश हित में लोक संस्कृति, कला साधक व साहित्कार वर्ग के लोगों के साथ विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कर हिन्दू समाज की एकता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसी के आधार पर भारत एक सशक्त राष्ट्र के रूप में विकसित होगा।
15 तिलक रोड स्थित संघ के प्रांतीय मुख्यालय में लोक संस्कृति, कला साधक व साहित्कार वर्ग से संबंधित लोगों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने सभी से राज्य व देश हित से जुड़े विभिन्न विषयों पर वार्ता करते हुए कहा कि भले ही भाषाएं भिन्न हों, धर्म भिन्न हों, संप्रदाय भिन्न हों लेकिन सभी की संस्कृति समान है। संपूर्ण विश्व इसे हिन्दू संस्कृति के रूप में स्वीकार करता है। परिणामस्वरूप हमारे समुदाय की पहचान हिन्दू समुदाय के रूप में है। यह हिन्दू समुदाय की पारंपरिक मातृभूमि है।
संघ प्रमुख ने आरएसएस के कार्यो एवं डॉ हेडगेवार के उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि इनके सोच के अनुरूप संघ समाज जागरण की भावना के साथ संगठित होकर कार्य कर रहा है। ऐसे में हम सभी को हिन्दू समाज को साथ लेकर चलने में सहभागी बनना होगा क्योंकि जब तक हम संगठित नहीं होंगे, तब तक समाज का उत्थान संभव नहीं है। इसी कार्य को पूरा करने के लिए संघ हिन्दु समाज को संगठित करने का अनवरत कार्य चला रहा है।
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि संघ के कार्यो से महात्मा गांधी, बाबा साहब अंबेडकर सहित अन्य प्रमुख लोग काफी प्रभावित थे। हम राष्ट्र निर्माण में अपने कला व विधाओं के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित कर सकते है ताकि भविष्य के भारत का आकार और बड़ा हो सके।
संघ प्रमुख ने कहा, ‘जो समाज अपने लोगों की चिंता करता है, उनके प्रति स्नेह रखता है, भले ही उसके पास संसाधनों का अभाव हो, आकार में छोटा हो, वो अपना लक्ष्य हासिल करने में समर्थ होता है।‘ उन्होंने कहा कि, असमानता एवं भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए क्योंकि एक विभाजित समाज के रूप में हम विफल हो जाएंगे। हमें नकारात्मक नहीं सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना है। यह देश गांवों का है और ऐसे में गांवों की संस्कृति को ध्यान में रखते हुए हमें समृद्ध भारत के भाव को मन में जागृत करना होगा। हिन्दू समाज को तोड़ने की भी एक बड़ी साजिश चल रही है। ऐसे तत्वों व छलावा करने वाले लोगों को पहचानना होगा। “
बैठक में शामिल उत्तराखण्ड के जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण, लोक जागर गायिका नंदा बसंती बिष्ट, गायिका संगीता ढ़ौडियाल, अखिल भारतीय गढ़वाल सभा के अध्यक्ष रौशन धस्माना ने बताया कि संघ प्रमुख के शालीन व्यवहार के हम सभी कायल हैं। इतने बड़े संगठन के मुखिया का आमलोगों से इस तरह बात कर उनको सुनना और समाज के लिए काम करने को प्रेरित करना, सही मायने में समाज जागरण का कार्य है। उन्होंने बताया कि संघ प्रमुख ने किसी धर्म या जाति का नाम लिए समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए सहभागिता पर जोर दिया। साथ ही कहा कि आज बढ़ते मोबाइल युग में परिवार के बुजुर्गों पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यक्ता है क्योंकि वो अपने को अकेला महसूस करते हैं। इसलिए हमें परिवार के हर बच्चों में संस्कार का भाव भरना होगा।