नियुक्ति को बनाई समितियों में बाहरी दखल से धांधली की आशंका

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(देहरादून) उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अनियमितताओं और गड़बड़ियों पर लगाम लगने का नाम नहीं ले रही है। विवि में कक्षाओं में फैकल्टी नहीं, कक्षाओं में छात्र-छात्राओं के लिए संसाधनों की कमी को लेकर तो पहले ही हंगामा जारी है। वहीं अब एक बार फिर नियुक्तियों में धांधली का ‘जिन’ बाहर आ गया है।
मामला विवि में चल रही नियुक्तियों के लिए बनाई गई समितियों को लेकर है। आरोप है कि संबंधित समितियों में चल रहे गोपनीय कार्यों में सदस्यों के अलावा बाहरी लोगों को भी दखल है। खास बात यह कि मामले में यह आरोप खुद विवि के उपकलसचिव ने लगाए है। उपकुलसचिव डा. राजेश अधना ने इसे लेकर लिखित शिकायत कर समितियों को भंग किए जाने की भी मांग की है।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर, देहरादून, ऋषिकुल, गुरुकुल परिसर हरिद्वार में भर्ती की प्रक्रिया लटकती आ रही थी। कभी चुनाव के चलते प्रक्रिया पर रोक लगी तो कभी कुलाधिपति ने नियुक्तियों को लेकर सवाल खड़े कर किए, जिस कारण प्रक्रिया को रोक दिया। अब यूनिवर्सिटी ने एक बार फिर नियुक्तियों के लिए विज्ञप्ति जारी कर दी है। आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने शैक्षिक, तकनीकी व नर्सिंग संवर्ग सहित विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की है। इसके तहत शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक पदों पर भर्ती होनी है। इन्हीं पदों पर नियुक्ति के लिए विवि द्वारा विभिन्न समितियों का गठन किया गया था। समितियों के सदस्यों का भी चयन कर नियुक्तियों के लिए संबंधित गोपनीय कार्य भी संपादित किए जा रहे है। लेकिन अब इन गोपनीय कार्यों में बाहरी लोगों के दखल की बात सामने आई है। विवि द्वारा गठित समितियों पर खुद विवि के उपकुलसचिव डा. राजेश कुमार अधना ने आरोप लगाया है कि संबंधित समितियों के सदस्यों के अतिरिक्त कुछ बाहरी व्यक्तियों को गोपनीय कार्य मे शामिल होते देखा जा रहा है। दरअसल, आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने टीचिंग व नान टीचिंग के लिए आवेदन मांगे थे। आज कल फार्म की स्क्रूटनी चल रही है। जिसके लिए समितियां बनाई गई। समिति के नामित सदस्य अनुपस्थित और गैर सदस्य इस काम को कर रहे हैं। उप कुलसचिव ने स्क्रूटनी रोककर समितियां भंग करने की कुलपति से मांग की है।
मामले में सूत्रों की मानें तो कई पात्र आवेदकों के आवेदन में से डॉक्युमेंट गायब कर दिए जाने का अंदेशा भी लगाया जा रहा है। इतना ही नहीं कुछ आवेदकों के फार्म में जानबूझकर स्याही गिरा दिए जाने की बात भी सामने आ रही है। हालांकि इन आरोपों को लेकर कोई पुष्टि नहीं है। लेकिन समितियों में बाहरी लोगों के दखल को लेकी खुद उपकुलसचिव द्वारा विवि कुलपति को भेजा गया पत्र इसकी कहीं न कहीं पुष्टि जरूर करता है। मामले में कुलसचिव डा. अनूप कुमार गक्खड़ ने कहा कि समितियों में गोपनीय कार्यों में बाहरी दखल की बात अभी पुष्ट नहीं है। मामले में गंभीरता से जांच कर कार्रवाई की जाएगी। जहां तक समितियां भंग करने का मामला है तो कुलपति के अनुमोदन से समितियां बनाई गई थी वहीं इन्हें भंग करने का अधिकार रखते हैं।