भले ही शासन तंत्र और सरकार कितने दावे करे लेकिन विकास मद में सांसद निधि खर्च होने में कोताही बरती जा रही है। इसका प्रमाण राजमाता टिहरी सांसद राजलक्ष्मी को छोड़कर किसी भी सांसद का एक रुपये खर्च नहीं हुआ है। वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल प्रारम्भ हुए 6 माह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन दिसम्बर 2019 तक एक भी रुपया सांसदों का खर्च न करना इस बात का संकेत है कि सांसद भी विकास के प्रति कितने संवेदनशील हैं।
केवल टिहरी सांसद राजलक्ष्मी शाह को छोड़कर किसी भी सांसद का एक भी रुपया पिछली सांसद निधि शेष होने के कारण भारत सरकार से जारी नहीं हुआ है। पिछली लोकसभा सांसदों की भी 26 करोड़ की सांसद निधि अब तक खर्च नहीं हुई है। पिछले सांसदों के स्वीकृत 3342 विकास कार्य दिसम्बर 2019 तक प्रारंभ तक नहीं हुए हैं।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीमउद्दीन ने उत्तराखंड के ग्राम्य विकास आयुक्त से उत्तराखंड के सांसदों की सांसद निधि के खर्च सम्बन्धी सूचना मांगी। इसके उत्तर में ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी उपायुक्त (प्रशासन) हरगोविंद भट्ट ने अपने पत्रांक 3211 03 फरवरी 2020 से दिसम्बर 2019 के सांसद निधि विवरण की प्रति उपलब्ध कराई।
इस सूचना के अनुसार उत्तराखंड लोक सभा सांसदों को विकास कार्यों के लिए पांच करोड़ प्रति वर्ष की सांसद निधि में से दिसम्बर 2019 तक केवल टिहरी एक सांसद राजलक्ष्मी की ढाई करोड़ की सांसद निधि ही जारी हो पाई है। पिछली ढाई करोड़ की किश्त का प्रयोग विवरण उपलब्ध कराने पर भारत सरकार द्वारा अगली 2.5 करोड़ की किश्त जारी की जाती है।
दिसम्बर 2019 तक पिछली लोकसभा के सांसदों को ब्याज सहित उपलब्ध 99.66 करोड़ की सांसद निधि में से 78.95 करोड़ की सांसद निधि ही खर्च हो सकी है। जारी नहीं हुई 30 करोड़ की सांसद निधि सहित कुल 129.66 करोड़ की सांसद निधि में से 61 प्रतिशत 78.95 करोड़ की सांसद निधि ही दिसम्बर 2019 तक खर्च हुई है।
नए लोकसभा सांसदों की सांसद निधि में केवल टिहरी सांसद राजलक्ष्मी की ढाई करोड़ की सांसद निधि जारी हुई है जिसका कोई रुपया भी दिसम्बर 2019 तक खर्च नहीं हुआ है। अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा की ब्याज सहित सांसद निधि 2633.84 लाख है जिसमें से दिसम्बर 2019 तक केवल 50 प्रतिशत 1310.99 लाख की सांसद निधि ही खर्च हो सकी।
हरिद्वार सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक की कुल 2605.09 लाख सांसद निधि में से केवल 77 प्रतिशत 1997.19 लाख की सांसद निधि खर्च हुई है, जबकि पौड़ी सांसद बी.सी.खंडूरी की 2531.32 लाख की सांसद निधि में से केवल 40 प्रतिशत 1001.14 लाख की सांसद निधि खर्च हुुई है।
टिहरी सांसद राजलक्ष्मी की 2634.83 लाख की पिछले सांसद निधि में से केवल 68 प्रतिशत 1790.2 लाख की सांसद निधि खर्च हुुई है, जबकि नैनीताल उधमसिंह नगर सांसद भगत सिंह कोश्यारी की 2560.9 लाख की सांसद निधि में से 70 प्रतिशत 1795.87 लाख की सांसद निधि खर्च हुुई है।
उत्तराखंड के पिछले लोकसभा सांसदों की सांसद निधि से कुल 9128 कार्य स्वीकृृत हुये हैं। इसमें से दिसम्बर 2019 तक 50 प्रतिशत 4592 कार्य हुये हैं जबकि 13 प्रतिशत 1194 कार्य चल रहे हैं तथा 37 प्रतिशत 3342 कार्य दिसम्बर 2019 तक प्रारंभ ही नहीं हुए।
अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा के 3077 कार्यों में 29 प्रतिशत 877 पूर्ण हुये हैं। 181 चल रहे हैं तथा 2019 प्रारम्भ नहीं हुये हैं जबकि हरिद्वार सांसद डा. रमेश पोखरियाल के कुल 823 कार्यों में से 76 प्रतिशत 627 कार्य पूर्ण हुुये हैं, 116 कार्य चल रहे तथा 80 प्रारंभ नहीं हुये हैं।
टिहरी सांसद राजलक्ष्मी के 1486 कार्यों में 39 प्रतिशत 574 पूर्ण हुये हैं। 760 चल रहे और 152 प्रारंभ नहीं हुये हैं। पौड़ी सांसद बीसीखंडूरी के 2694 कार्यों में 58 प्रतिशित 1568 पूर्ण हुुए। 89 चल रहे हैं तथा 1037 प्रारंभ नहीं हुये हैं। नैनीताल-उधमसिंह नगर सांसद भगत सिंह कोश्यारी के कुल 1048 कार्यों में से 90 प्रतिशत 946 पूर्ण हुये हैं। 48 कार्य चल रहे हैं तथा 54 कार्य चालू ही नहीं हुए हैं।
यह आंकड़े इस बात के संकेत है कि कहीं ना कहीं विकास कार्यों में अपेक्षित रूचि न लेने के कारण सांसदों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जो विकास के प्रति लापरवाही प्रतीत होती है। एक ओर प्रधानमंत्री मोदी जनता से जुड़े रहने और जनहित के कार्यों को सम्पादित कराने की बात कहते हैं दूसरी ओर सांसदों की यह लापरवाही विकास और सरकार और दोनों पर भारी पड़ सकती है।