देहरादून। प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाई) के लाभार्थी करीब बारह लाख परिवारों को बड़ा झटका लगा है। बीमा कंपनी को एक्सटेंशन न मिल पाने के कारण योजना बंद पड़ गई है। जिस कारण मरीजों को इलाज से महरूम होना पड़ रहा है। वह अस्पताल पहुंचकर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
अप्रैल 2015 में शुरू हुई मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाभार्थियों को बायोमेट्रिक स्मार्ट कार्ड जारी किए गए थे। जिसके तहत कार्डधारक परिवार को 50 हजार रुपये का हेल्थ कवर और सवा लाख रुपये गंभीर बीमारियों का बीमा कवर मिलता है। इस कार्ड का इस्तेमाल एमएसबीवाई के पैनल में शामिल किसी भी अस्पताल में इलाज के लिए किया जा सकता है। योजना में सरकारी कर्मचारी, पेंशनर और आयकर दाता शामिल नहीं हैं। शुरुआती चरण में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस से करार किया गया था। गत वर्ष बीमा कवर बढऩे के साथ ही नई कंपनी बजाज एलियांज ने इसका जिम्मा संभाला। जिसे कुछ वक्त पूर्व दो माह का एक्सटेंशन भी दिया गया था। वीरवार को अस्पतालों को कंपनी की ओर से एक ईमेल भेजा गया। जिसमें कहा गया कि इसके बाद कोई भी एमएसबीवाई कार्ड स्वीकार्य नहीं होगा।
एक्सटेंशन न मिलने से बिना इलाज लौट रहे मरीज
योजना के तहत अस्पताल मरीजों के कार्ड की पड़ताल कर वेबसाइट के जरिए संबंधित बीमा कंपनी से योजना के तहत नकदी रहित इलाज की अप्रूवल ली जाती है। कंपनी को एक्सटेंशन न मिलने से अब मरीज बिना इलाज वापस लौट रहे हैं। अपर सचिव स्वास्थ्य पंकज पांडे का कहना है कि कंपनी के एक्सटेंशन से जुड़ी फाइल पर कार्रवाई चल रही है। जल्द इस पर निर्णय ले लिया जाएगा। इसके अलावा नया टेंडर करने की भी तैयारी है।
योजना बंद होने से मरीजों की बढ़ी मुसीबत
मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना बंद होने से मरीजों पर आफत टूट पड़ी है। कई मरीज ऐसे हैं जिनका ऑपरेशन होना है और वह वीरवार ही अस्पताल में भर्ती हुए हैं। एमएसबीवाई से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी होती इससे पहले ही योजना पर अडंगा लग गया। इनमें अधिकांश मरीज ऐसे हैं जो इलाज का खर्च वहन कर पाने में बिल्कुल भी सक्षम नहीं हैं। वह अब यह नहीं समझ पा रहे कि आखिर किया क्या जाए। इसे लेकर मरीजों के परिजनों व अस्पताल कर्मियों के बीच कई बार नोकझोंक भी हुई।
अनदेखी के चलते आई समस्या
जिस मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना पर सरकार अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकती, वह अधिकारियों की अकर्मण्यता व सुस्ती की भेंट चढ़ गई है। यह जानकारी विभाग को भी थी कि कंपनी का अनुबंध खत्म हो रहा है। लेकिन फाइल शासन में पड़ी धूल फांक रही है। बताया गया कि एमएसबीवाई के लिए नए सिरे से टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। हद देखिए कि न टेंडर हुआ और न कंपनी को एक्सटेंशन ही दिया गया। यह स्थिति तब है जब स्वास्थ्य विभाग खुद सूबे के मुखिया यानि मुख्य मंत्री देख रहे हैं।