प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांशी कैश लेस योजना के तहत मसूरी देश का प्रथम कैशलेस हिल स्टेशन बन गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देश के प्रथम कैशलेस हिल स्टेशन ‘‘डिजिटल मसूरी’’ का शुभारम्भ किया। ये काम राज्य सरकार और भारतीय स्टेट बैंक के सयुंक्त प्रयासों से किया गया है। इस मौके पर भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों ने बताया कि “कैशलेस व्यवस्था की ओर एक कदम और बढ़ाते हुए मसूरी देश का प्रथम कैशलेस हिल स्टेशन बन गया है। अब मसूरी में आधार आधारित आॅन लाइन लेनदेन, भीम एप, ई वाॅलेट आदि सभी आॅन लाइन नकदी का लेनदेन की सुविधाएं उपलब्ध है। इसके साथ ही इस सुविधा के सुरु होने से पर्यटकों और दुकानदारों को सुविधा होगी ।साथ ही हम आगे भी कई जगहों को कैशलेश बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे है।”
हालांकि मसूरी के होटल व्यापारी इस पहल से ज्यादा संतुष्ट नहीं दिखे। जैसे कि मसूरी होटल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आर.एन माथुर ने कहा कि “सरकार बहुत से नए-नए स्कीम और आइडियो की घोषणा करती है लेकिन उनमें से कितने सफल होते हैं?” उन्होंने कहा कि “मुझे पता है कि हर कोई चाहता है देश डिजीटल बने लेकिन यह प्लान कहा तक प्रेक्टिकल है देखना यह होगा। यह बिल्कुल ऐसा ही दिखाई पड़ता है जैसे देहरादून एक स्मार्ट सिटी बनना चाहता है लेकिन क्या उसके मुताबिक काम हो रहा है?”
यह प्लान शायद सबसे मुश्किल उनके लिए होगा जो छोटे दुकान वाले है,जिसमें से ज्यादातर पढ़े लिखे नहीं है। जैसे कि किशन मुरेना जो अपने चार लोगों की टीम के साथ हैंडमेड जूते बनाते और आने वाले टूरिस्ट के बीच बहुत मशहूर है। किशन कहते हैं कि “मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं और मेरे पास एक बेसिक फोन है और मैं तो जानता भी नहीं कैशलेस का मतलब क्या होता है, और मुझे कैसे पता चलेगा कि लोगों ने पेमेंट कर दी कि नहीं। मुझे लगता है कि सरकार को हमारे बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए कुछ करना चाहिए ना कि हमें और परेशान करना चाहिए।”
मौजूदा हालात देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि ,सरकार के कैशलैस इंडिया बनाने का सपना तो सही है लेकिन बिना सही तैयारियों के इसका जमीन पर असर दूर की कौड़ी है।