एक तस्वीर से नैनीताल के पर्यटन को लगी थी बुरी नजर, वह आज तक नहीं उतरी

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नैनीताल
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सरोवर नगरी नैनीताल के पर्यटन को न जाने किसकी नजर लग गई है। पिछले दो वर्षों से यहां लगातार कोई न कोई समस्या बनी हुई है। 2019 के ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन में यहां सैलानियों का रेला उमड़ पड़ा था। मीडिया में यहां की सड़कों पर प्रकाशित जाम की तस्वीरों के बाद अचानक ऐसा पर्यटन ऐसा गिरा कि आज तक नहीं उठ पाया है।

ऐसे में प्रशासन ने उच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देकर सैलानियों के वाहनों को हल्द्वानी, रानीबाग, कालाढुंगी में रोकने व दूसरी ओर डायवर्ट किया था। इससे यहां का पर्यटन प्रभावित हुआ था। रही-सही कसर जून 2019 में रूसी बाइपास में सैलानियों के वाहनों को रोके जाने ने पूरी कर दी। तब रूसी बाइपास में खड़े वाहनों के राष्ट्रीय मीडिया में सड़कों पर जाम के रूप में प्रकाशित तस्वीरों के प्रकाशित होने के बाद यहां का पर्यटन ऐसा गिरा कि अब तक नहीं उठ पाया है।

इसके बाद कोरोना की वजह से मार्च 2020 से कई माह यहां होटल बंद एवं प्रशासन द्वारा अधिग्रहित रहे। कोरोना का पहला दौर ठंडा पड़ने के बाद सितंबर-अक्टूबर 2021 में पर्यटन पटरी पर लौटने लगा तो फिर से मार्च 2021 से कोरोना की डरावनी दूसरी लहर ने नगर के पर्यटन को फिर से फर्श पर ला दिया। दूसरी लहर के निपटने के साथ 2021 का ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन भी जाता रहा। इसके बाद फिर पर्यटकों ने वापसी की तो अक्टूबर 2021 में जनपद में आई आपदा के बाद एक बार फिर नगर का पर्यटन धड़ाम हो गया।

इसके बाद फिर नगर के पर्यटन उद्योग ने उठने की कोशिश की। नगर के पास तितलियों का महोत्सव आयोजित हुआ और नगर के कई होटलों में नवंबर माह में क्रिसमस के लिए केक मिक्सिंग भी की गईं, लेकिन अब दिसंबर माह में देश में ओमीक्रोन के गिने-चुने ही मामले आने के बावजूद राष्ट्रीय मीडिया में इस बारे में मच रहे शोर के कारण सैलानी अपनी बुकिंग निरस्त करने लगे हैं। इससे क्रिसमस की तैयारियां भी प्रभावित हो रही हैं। पर्यटन व्यवसायियों को समझ नहीं आ रहा है कि क्रिसमस की किस स्तर की तैयारियां की जाएं।

क्रिसमस तक ओमीक्रोन का प्रभाव जा चुका होगा या बढ़ चुका होगा। इस बारे में पर्यटन व्यवसायियों को भी असमंजस में डाले हुए हैं। ऐसे में व्यवसायी केंद्र व राज्य सरकार की ओर से भी कोई समाधान या मदद न किए जाने से भी व्यथित हैं।