मूक पशुओं की आवाज बना नैनीताल हाई कोर्ट, सरकार को दिये आदेश

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देहरादून, उत्तराखंड देव भूमि कहा जाता है और यहां परिवार में गाय-पालन एक रोजगार के साथ-साथ समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है, लेकिन शहरों में घूमते पशु उत्तराखंड की धार्मिक भावनाओं पर भी सवाल उठाते हैं, क्योंकि कई धार्मिक संस्थाएं आए दिन इन निराश्रित गोवंश के नाम पर मोटा चंदा तो उठाती है।

जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं करती जिसके चलते स्थिति जस की तस बनी हुई है। गोवंश को लेकर अब नैनीताल हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं, हाईकोर्ट ने जिला और नगर पंचायत को सड़कों पर लावारिस घूम रही गायों को गोशाला में रखने और उनके दूध बेचकर मिलने वाली धनराशि से उनकी परवरिश करने का आदेश दिया है।

यह पूरा मामला रुड़की के सोलापुर-गान्डा गांव में बिना लाइसेंस के गोवंशीय पशुओं के मांस कि बिक्री के मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को 25 गांव में गोशाला बनाने के आदेश दिए हैं। यह पूरा मामला रुड़की निवासी आलिम की याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा और न्याय मूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंड पीठ ने उत्तराखंड के ग्रह सचिव को आदेश दिए है कि वह यह सुनिश्चित कराई कि राज्य में कहीं भी गोवध ना हो। साथ ही निगरानी के लिए डीएसपी के नेतृत्व में कमेटी बनाई जाए और इसमें एक पशु चिकित्सकों भी शामिल किया जाए।

हाई कोर्ट ने पुलिस प्रशासन को कहा है कि सभी पुलिस क्षेत्राधिकारी सुनिश्चित करें कि कहीं भी गोवध ना हो और ना ही गोवध के लिए गाय लाई जाए, हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद एक उम्मीद बंधी है कि आने वाले दिनों में गोवंश की दुर्गति पर लगाम लगेगी, साथ ही देवभूमि में अवैध रूप से चल रहे कत्लखानों पर भी रोक लगेगी।