चमोली जिले के जोशीमठ-मलारी सड़क का चौड़ीकरण कार्य कर रहे कम्पनी पर स्थानीय ग्रामीणों ने मनमाने तरीके से मलबा निस्तारण का आरोप लगाया है। ग्रामीणों को कहना है कि यहां कंपनी की ओर से हिल कटिंग कर मलबा धौली गंगा में उड़ेला जा रहा है। इससे एक ओर जहां केंद्र सरकार की नमामि गंगे योजना को पलीता लगाया जा रहा है, वहीं क्षेत्र में मौजूद पेड़-पौधों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ग्रामीणों ने मामले में नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों से कार्रवाई की मांग उठाई है।
भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र में सुगम यातायात के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से जोशीमठ-मलारी हाइवे का इन दिनों चौड़ीकरण कार्य करवाया जा रहा है। बीआरओ की ओर से यहां हिल कटिंग के लिए निजी क्षेत्र की कंपनी ओसिस को जिम्मेदारी सौंपी गई है। कंपनी की ओर से यहां जहां विस्फोट कर चट्टानों को काटा जा रहा है वहीं पहाड़ी निकल रहे मलबे को निर्धारित डम्पिंग जोन में डालने की बजाय सीधे धौली गंगा नदी में उड़ेला जा रहा है। इससे नदी साइड मौजूद देवदार, भोजपत्र और थुनेर जैसी संरक्षित प्रजाति के पौधों को खासा नुकसान हो रहा है। स्थानीय निवासी धन सिंह घरिया और प्रेम सिंह फोनिया का कहना है कि मामले में निर्माणदायी कंपनी के अधिकारियों से कई बार वार्ता करने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ है। इससे उच्च हिमालयी क्षेत्र में इस प्रकार के निर्माण से पर्यावरण के साथ ही धौली नदी को भी नुकसान हो रहा है।
नंदा देवी बायोस्फियर, चमोली के निदेशक अमित कंवर का कहना है कि जोशीमठ-मलारी हाइवे पर हिल कटिंग कार्य के लिए नियमानुसार कार्य करने की अनुमति दी गई है। यदि नियमों के विरुद्ध निर्माणदायी संस्था की ओर से मलबे का निस्तारण किया जा रहा है तो इसे दिखवाया जाएगा और विभागीय नियमानुसार मामले में कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।