गोपेश्वर, नंदादेवी ने राजजात के बाद कैलाश से लौटने पर अपने ननिहाल छह माह विकास खंड थराली के देवराडा गांव में प्रवास किया। प्रवास के बाद मंगलवार को उनकी उत्सव डोली एक दर्जन से अधिक गांवों से होते हुए अपने मूल स्थान सिद्धपीठ कुरूड पहुंच गई है, जहां पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो गये है।
मान्यता के अनुसार हर वर्ष होने वाली नंदादेवी की लोकजात में मां नंदा की उत्सव डोली कैलाश को जाती है। वेदनी बुग्याल में नंदादेवी राजजात संपन्न होने के बाद लौटते वक्त मां भगवती देवराडा गांव में अपने ननिहाल में छह माह प्रवास करती है। छह माह बाद नंदा की उत्सव डोली उत्तरायणी के पर्व पर अपने मूल प्रवास स्थान सिद्धपीठ कुरूड आ जाती है।
नंदा देवी की उत्सव डोली सिद्धपीठ कुरूड पहुंची। जहां पर हजारों की संख्या में पहुंचे भक्तों ने मां नंदा का भव्य स्वागत व पूजा अर्चना कर पुण्य लाभ अर्जित किया। मंदिर के पुजारी घनश्याम प्रसाद गौड व घनश्याम मेंदोली ने बताया कि मां नंदादेवी उतरायणी के पर्व पर मंगलवार को अपने मूल स्थान सिद्धपीठ कुरूड पहुंच गई है। जहां पर धार्मिक अनुष्ठान शुरू कर दिए है। अब मां नंदा इस वर्ष अगस्त माह में होने वाली नंदादेवी राजजात तक कुरूड में ही प्रवास करेंगी।