नरेन्द्र नगर राजनीति दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण विधान सभा है जो ऋषिकेश,देवप्रयाग,यमकेश्वर और टिहरी विधानसभाओं से लगी होने के कारण काफी प्रभाव रखती है, इस बार इस नरेन्द्र नगर की चुनावी लड़ाई काफी दिलचस्प होने वाली है। पहले कांग्रेस और अब बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले इस विधान सभा क्षेत्र में एक बड़ा राजनीतिक उलट फेर हुआ है। कांगेस से बगावत कर बीजेपी में आए सुबोध उनियाल को इस बार बीजेपी के ही बागियों का सामना करना पड़गा वहीँ दूसरी ओर कांग्रेस के लिए भी यहाँ से जीतना किसी बड़ी चुनोती से कम नही है। ऐसे में कैसे रहेंगे विधान सभा के चुनावी समीकरण ,गढ़वाल के इतिहास में नरेन्द्र नगर का विशेष महत्व है।महाराजा नरेन्द्र शाह ने 1919 में टिहरी से अपनी राजधानी को नरेन्द्र नगर में बसाया था,जो एक खूबसूरत पहाड़ी के बीच का मनोहारी स्थान है जिसके शीर्ष पर कुंजापुरी शक्ति सिद्ध पीठ है,यहाँ से चुनावी मैदान में कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी का दामन थाम चुके सुबोध उनियाल बीजेपी के टिकट से मैदान में है जिनको उनके प्रतिद्वंदी के रूप ओम गोपाल रावत से कड़ी टक्कर मिल रही है ,कार्यकर्ताओ का सम्मान और विकास का मुद्दा इस बार के चुनाव में जोर शोर से उठ रहा है।
नरेन्द्र नगर विधान सभा में चुनाव विशेषकर बागियो के बीच सम्मान और अहम की लड़ाई का हिस्सा बन गया है।ओम गोपाल रावत का आरोप है कि वो भाजपा से सम्मान की लड़ाई लड़ रहे है जिससे कार्यकर्ताओं को उनका सम्मान मिल सके वही सुबोध उनियाल मुख्यमंत्री हरीश रावत सरकार के खिलाफ विकास का मूढ़ लेकर मैदान में है दूसरी ओर कांग्रेस ने युवा चेहरे के रूप में हिमांशु बिल्जवान को मैदान में उतारा है।
अब फैसला जनता के हाथ में है देखना यह होगा की क्या जनता बीजेपी या कांग्रेस पर भरोसा दिखाती है या इस बार नरेन्द्र नगर विधानसभा में बदलाव देखने को मिलता और जनता किसी निर्दलीय को चुनती है।