देहरादून, टिहरी जिले के दलित युवक जीतेन्द्र दास के मौत मामले में सोमवार को भाजपा नेता व पूर्व राज्यसभा सांसद तरुण विजय के नेतृत्व में तीन सदस्यी प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मिला। आयोग की वरिष्ठ सदस्य ज्योतिका कालरा को टिहरी के जीतेन्द्र दास की पिटाई से हुई मौत/हत्या की जांच का आग्रह किया है।
प्रतिनिधिमंडल में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं ह्यूमन राइट्स डिफेंस इंटरनैशनल के महासचिव राजेश गोगना, गढ़वाल के सामाजिक कार्यकर्ता अरविन्द मैखुरी थे। यह प्रतिनिधिमंडल ह्यूमन राइट्स डिफेंस इंटरनैशनल के संयोजन में मिला था।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने तरुण विजय के ज्ञापन का तुरंत संज्ञान लेते हुए लिखित में अपनी एक्शन रिपोर्ट में कहा है कि, “यह शर्म की बात है कि संविधान, जिसका निर्माण एक अनुसूचित जाति के विद्वान ने किया था, निर्माण के सत्तर साल के बाद भी अभी तक अनुसूचित जातियों के प्रति भेदभाव जारी है। आयोग ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पीड़ित के परिवार को सुरक्षा और सभी संवैधानिक सुविधाएं तुरंत दी जाए।”
सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश गोगना ने कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि यह मामला 308 या 302 में दर्ज नहीं किया गया है, जबकि जो रिपोर्टें छपीं हैं उनसे निर्मम पिटाई ही मृत्यु का कारण बताया जा रहा है। गोगना ने कहा कि, “राज्य सरकार को सभी सुरक्षा और कानूनी सहायता ही नहीं बल्कि इस मामले में न्याय प्राप्ति के लिए सभी संवैधानिक मदद दिलाना और पीड़ित परिवार की देहरादून में सुरक्षित रहने की व्यवस्था करना होगा, यह संवैधानिक तौर पर तुरंत होना चाहिए।”
तरुण विजय ने अपनी याचिका में उत्तराखंड वाल्मीकि आंबेडकर महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आशीष छाछर के पत्र को भी हिस्सा बनाकर आयोग को सौंपा है। तरुण विजय ने बताया कि जीतेन्द्र दास मामले की रिपोर्ट लेने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग टीम टिहरी भेजेगा।