नई दिल्ली। देश के स्वतंत्रता आंदोलन की वर्दी खादी राष्ट्र के ग्रामीण उद्योगीकरण का एक मजबूत स्तम्भ है। खादी और ग्रामोद्योग ने खादी के बदलते स्वरूप को बहुत ही संजीदगी के साथ लोगों के सामने प्रस्तुत किया है। हाल के वर्षों में विश्व के कई राष्ट्रों ने आर्थिक मंदी को झेला है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक मंदी की प्रवृत्ति को पछाड़ दिया है।
इसका श्रेय किसी और को नहीं वरन् देश के मजबूत स्तम्भ कहे जाने वाले हजारों-लाखों सूक्ष्म और लघु संस्थाओं को जाता है। इसमें खादी आौर ग्रामोद्योग की भूमिका महत्वपूर्ण है। दरअसल सुदृढ़ और मजबूत स्तंभों की तरह इन संस्थाओं ने आर्थिक मंदी की मार को झेला है। यही वजह है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के थपेड़ों के बीच अपने अस्तिव को जस का तस बनाए रखा।
राष्ट्र की शान खादी को विशेष सांस्कृतिक एवं नैसर्गिक प्रोडक्ट्स के रूप में विकसित करने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने इसकी शुद्धता को बनाए रखने पर जोर दे रहा है। इसके लिए खादी के रूप में कपास, रेशम या ऊन के हाथ से कटे सूत अथवा इनमें से दो या सभी प्रकार के धागों के मिश्रण से देश में हथकरघे पर बुने गए वस्त्रों के उत्पादन पर जोर दे रहा है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग इसके साथ ही ऑर्गेनिक कॉटन एवं प्राकृतिक रंगो के उपयोग को बढ़ावा देने में लगा हुआ है। यही वजह है कि खादी पूरे देश में बड़ी संख्या में परंपरागत बुनकरों के रोजगार एवं आमदनी का जरिया बनी हुई है। बता दें कि खादी के कार्य में करीब 80 फीसदी महिला कारीगर संलग्न हैं ।
खादी की हिस्सेदारी पांच साल में हुई दोगुनी
खादी ग्रामोद्योग ने पिछले महीने जो रिपोर्ट जारी की है उसके मुताबिक देश के कुल कपड़ा उत्पादन में खादी के कपड़ों की हिस्सेदारी गत पांच सालों में बढ़कर दोगुनी हो गई है। आयोग के चेयमैन के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 में यह भागीदारी 4.23 फीसदी थी, जो वित्त वर्ष 2018-19 में 8.49 फीसदी हो गई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खादी को अपनाने की अपील की वजह से खादी का उत्पादन बढ़ाना संभव हो सका है।
चेयरमैन ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक खादी को बढ़ावा देने और रोजगार का दायरा बढ़ाने के लिए नए खादी संस्थानों का पंजीकरण शुरू किया गया है। इसके साथ ही बंद हो चुके खादी संस्थानों को फिर से शुरू किया जा रहा है। इसकी वजह से खादी के कपड़ों के उत्पादन में लगे कारीगरों की संख्या देशभर में बढ़कर 4,94,684 तक पहुंच गई है। इतना ही नहीं मोदी सरकार इसे बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की घोषणा की है।