द्रोणनगरी में मां शैलपुत्री की पूजा के साथ नवरात्र पर गूंजे जयकारे

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    देहरादून,  देहरादून सहित प्रदेशभर में शक्ति के नौ रूपों की साधना का महापर्व शारदीय नवरात्र पूरे हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। नवरात्र के प्रथम दिन भक्तों ने घट स्थापन के सा​थ मां शैलपुत्री व मां ब्रह्मचारिणी अराधना कर पूजा पंडालों में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित किया गया।

    शारदीय नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं ने हरियाली के प्रतीक जौ बोए और माता के जयकारों से द्रोणनगरी गूंजती रही। इसके अलावा दुर्गा सप्तशति पाठ का शुभारंभ भी हुआ। शक्ति की उपासना के लिए शहर के विभिन्न मंदिरों में देर रात से श्रद्धालुओं खासकर महिलाओं की भीड़ उमड़ी। सप्तरंगी रोशनी से नहाए मंदिर आलौकिक नजारा प्रस्तुत कर रहे हैं। मठ-मंदिरों में प्रात:काल घट स्थापना के साथ मां नव दुर्गा के प्रथम रूप शैल पुत्री की पूजा अर्चना शुरू हो गई है। वहीं, पूजा पंडालों में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित कर पूजन आरंभ हो गया है।

    द्रोणनगरी के श्री श्याम सुंदर मंदिर, पृथ्वीनाथ मंदिर, माता वैष्णों देवी मंदिर टपकेश्वर महादेव, कालिका माता मंदिर समेत विभिन्न मंदिरों में अल सुबह से ही श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए पहुंचने लगे थे। शुभ मुहूर्त के अनुसार श्रद्धालुओं ने घर में भी विधि-विधान के साथ घटस्थापन कर हरियाली के प्रतीक जौ आए और मां का श्रृंगार कर व्रत धारण किया। मंदिरों में दिनभर भजन-कीर्तन का सिलसिला चलता रहा।
    पृथ्वीनाथ मंदिर में समस्त विग्रहों को स्नान कराने के बाद मां भगवती की पूजा-अर्चना और घटस्थापन किया गया। टपकेश्वर महादेव में माता वैष्णों देवी गुफा मंदिर नवरात्र के पहले दिन मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराया और फिर श्रृंगार किया। फिर, टपकेश्वर कॉलोनी महिलाओं ने माता के भजन प्रस्तुत किए।

    वहीं, धर्मनगरी हरिद्वार के विभिन्न मंदिरों में भी भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा और माहौल मां दुर्गा के जयकारों से गूंज उठा। आज ही आदि शक्ति नव दुर्गा के दूसरे रूप ‘ब्रह्मचारिणी’ की पूजा-अर्चना भी है। क्योंकि, प्रथम व द्वितीय तिथि इस बार एक साथ है। नवरात्रों के शुरू होने के साथ ही मंसा देवी, चंडी देवी, माया देवी, सुरेश्वरी देवी, शीतला देवी समेत अन्य मंदिरों में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ी। इससे पहले भक्तों ने मां दुर्गा के सुमिरन के साथ घट स्थापना शुरू की और मां के भक्त गंगा तट पहुंचकर कलशों में गंगाजल भरकर लाए।