धारचूला में इंटरनेशनल झूलापुल खुलने से सीमांत क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है। पुल खुलने पर नेपाल के माइग्रेशन पर जाने वाले छांगरू और तिंकर के ग्रामीणों ने जानवरों के साथ भारत में प्रवेश किया। साथ ही दो महीने से नेपाल में फंसे 40 भारतीय परिवारों की स्वदेश वापसी हुई है। इसके अलावा 150 के अधिक नेपालियों को भी भेजा गया है।
एक तरफ नेपाल ने भारतीय इलाके को अपने नक्शे में शामिल कर आपसी रिश्तों में खटास डालने की कोशिश की है वहीं दूसरी ओर भारत ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले नेपाल के नागरिकों को माइग्रेशन के लिए भारतीय सरजमीं से रास्ता खोल दिया है। गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद गुरुवार को झूलापुल खोला गया। इसके बाद वहां से लोगों ने अपने मवेशियों के साथ भारत में प्रवेश किया।
इस साल कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में झूला पुल के गेट बंद होने से ये परिवार माइग्रेशन पर नहीं जा पा रहे थे। पिछले दिनों नेपाल में फंसे इन परिवारों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था। ये सभी नेपाली परिवार धारचुला-गर्ब्यांग होते हुए सीतापुल से अपने नेपाल स्थित गांव छांगरू और तिंकर के लिए निकल गए हैं। नेपाल में उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित गांवों तक आवागमन के लिए पैदल रास्ता तक नहीं है। यह परिवार पहले से भारतीय क्षेत्र से होकर आवाजाही करते हैं।