आज से सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन का नया लोगो 

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सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) को नया लोगो और सर्टिफिकेट डिजाइन मिल गया है। 31 अगस्त को मुंबई में आयोजित होने वाले में कार्यक्रम में इसका अनावरण होगा। कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर होंगे और सचिव अमित खरे अतिथि के रूप में शामिल होंगे। नए लोगो और प्रमाण पत्र की पहचान सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के अध्यक्ष द्वारा दी जाएगी। नए लोगो और सर्टीफिकेट को लेकर सेंसर बोर्ड के चीफ प्रसून जोशी उत्साहित हैं। प्रसून का कहना है कि नए लोगो का डिजाइन भविष्य को सोच कर की गई है और आज की डिजिटल दुनिया के लिए एकदम सटीक बैठता है। इस डिजाइन को नेशनल सेक्योरिटीज़ डिपोसिट्री लिमिटेड की टेक्निकल सपोर्ट टीम के साथ मिलकर डिजइनर रोहित देवगन ने तैयार किया है।
क्या है सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) :
केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड या भारतीय सेंसर बोर्ड भारत में फिल्मों, टीवी धारावाहिकों, टीवी विज्ञापनों और विभिन्न दृश्य सामग्री की समीक्षा करने संबंधी विनियामक निकाय है। यह भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की स्थापना सिनेमोटोग्राफ एक्ट 1952 के तहत की गई है। पूर्व में सेंसर बोर्ड के नाम से प्रसिद्ध यह संगठन भारत में प्रदर्शित होने वाली विभिन्न श्रेणी की फिल्मों के लिए प्रमाण पत्र जारी करता है। बोर्ड की अनुमति के बिना भारत में कोई भी देशी अथवा विदेशी फिल्मों का सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं किया जा सकता। इस बोर्ड में अध्यक्ष के अतिरिक्त 25 अन्य गैर सरकारी सदस्य होते हैं। बोर्ड का मुख्यालय मुंबई में है। इसके 9 क्षेत्रीय कार्यालय बंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई, कटक, गुवाहाटी, हैदराबाद, मुंबई, नई दिल्ली और तिरुवंतपुरम में हैं। बोर्ड सामान्य सार्वजनिक फिल्मों के लिए ‘यू’, वयस्क फिल्मों के लिए ‘ए’, अभिभावकों की उपस्थिति में किशोरों सहित सबके देखने योग्य फिल्म के लिए ‘यू/ए’, तथा विशेषता वाली फिल्मों जैसे चिकित्सा, स्वास्थ्य आदि पर बनी फिल्मों के लिए ‘एस’ प्रमाण पत्र जारी करता है।
केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की फिल्मों के लिए 4 श्रेणियां है :
यू- इन फिल्मों को सभी आयु वर्ग के व्यक्ति देख सकते हैं।
यू/ए- इस श्रेणी की फिल्मों के कुछ दृश्यों में हिंसा, अश्लील भाषा या यौन संबंधित सामग्री हो सकती है। इस श्रेणी की फिल्में केवल 12 साल से बड़े व्यक्ति किसी अभिभावक की उपस्थिति में ही देख सकते हैं।
ए- यह वह श्रेणी है जिसके लिए सिर्फ वयस्क यानि 18 साल या उससे अधिक उम्र वाले व्यक्ति ही पात्र हैं।
एस- यह विशेष श्रेणी है। यह उन फिल्मों को दी जाती है जो विशिष्ट दर्शकों जैसे कि इंजीनियर या डॉक्टर आदि के लिए बनाई जाती हैं।