फंड की कमी से एनजीओ ने बंद किया वेस्ट कलेक्शन

0
971

केंद्र सरकार के पेट प्राॅजेक्ट “स्वच्छ भारत” हर किसी को एक सुंदर भारत का सपना दिखा रहे हैं और आने वाले कल को साफ सुथरा बनाने का गुणगान कर रहे हैं। ऐसे में बहुत सारे एनजीओ अलग अलग पहल कर शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम में लगे हुए हैं। लेकिन मसूरी में एक एनजीओ है जो पिछले दो दशक से शहर के कूड़े की हालात को सुधारने की कोशिश कर रहा है लेकिन इन दिनों एनजीओ की मुहिम अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है क्योंकि इस एनजीओ के पास फंड भारी कमी हो गई है।

“कीन”(कीपिंग द इनवारमेंट इकोलोजिकल नेचुरल) लगभग 300 घरों से और 7 होटल्स से वेस्ट मैनेंजमेंट का काम करते रहे हैं।यह घर और होटल नगर पालिका के क्षेत्र में नहीं आते। पिछले कई सालों में इस एनजीओ ने अपनी जान लगा दी शहर को साफ रखने के लिए और इस उम्मीद में कि पहाड़ों की रानी मसूरी कूड़े के ढेर के नीचे ना दबे। लेकिन अब यह एनजीओ अपनी सुविधाएं बंद करने वाला है क्योंकि उन्हें मसूरी म्यूंसिपल काउंसिल से कोई मदद नहीं मिल रही। कीन के संयोजक डाना क्रिगर कहते है “हम अबतक अपना बेस्ट कर रहे थे लेकिन ऐसी बहुत सी चीजें है जो पैसों और फाइनेंनसियल सर्पोट के बिना मुमकिन नहीं है। हमें पिछले बहुत दिनों से तारीख मिल रहीं थी ताकि हम इस विषय पर बातचीत कर सकें। इस बार यह तारीख 15 मार्च के आस पास है। सच तो यह है कि कूड़े और गंदगी का संरक्षण मसूरी के लिए बहुत बड़ी परेशानी है,और अगर सच में पहाड़ों की रानी मसूरी को कूड़े के ढ़ेर में दबने से बचाना है तो यह संरक्षण का काम रुकना नहीं चाहिए। पहाड़ों के आस पास कूड़े के ढ़ेर होना बहुत आम बात है और इसकी वजह से पहाड़ो की हालत खराब होते जा रही है।”

इस विषय पर नगर पालिका ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। पालिका के ई.ओ, डी.एस राणा कहते हैं कि “हमारा कीन के साथ कोई फार्मल एग्रीमेंट नहीं था।हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे कि अपने शहर को साफ सुथरा रख सके।”

लोग अभी इस एनजीओ की सर्विस से जागरुक भी नही है, उन्हों यह तक नही पता कि उन्हे फायदा कहां से मिल रहा है। रायल आर्किड फोर्ट रिर्जाट के पंकज थपलियाल कहते हैं कि “हमारे लिए वेस्ट मैनेजमेंट हमेशा से एक परेशानी का विषय रहता है क्योंकि हम नगर पालिका के क्षेत्र में नहीं आते। हमें वेस्ट मैनेंजमेंट के लिए लोगों पर निर्भर रहना पड़ता था जिनकी क्वालिटि उस लेवल की नहीं होती जो होटल के चाहिए होती थी। लेकिन कीन के होने की वजह से हमें वेस्ट मैनेजमेंट के लिए कभी परेशान नहीं होना पड़ता था चाहें कितनी ही बड़ी पार्टी या भीड़ क्यों ना हो जाए।”

बहरहाल इस प्रशासनिक उदासीनता ही रहेंगे कि जिस स्वच्छ भारत अभियान पर सरकार करोड़ों खर्च कर रही है उसी मुहिम में स्वेच्छा से लगे एक संस्तान को अपना काम बंद करना पड़ रहा है।