नेशनल हाइवे के करीब 300 करोड़ के मुआवजा घोटाले में संविदा पर तैनात तीन डाटा आपरेटरों को बर्खास्त कर दिया गया है, साथ ही तीन रजिस्ट्रार कानूनगो, एक अमीन को निलंबित किया गया है। इसके अलावा तीन नायब तहसीलदारों समेत कई अधिकारियों के खिलाफ सख़्त एक्शन की संस्तुति करके मंडलायुक्त को भेजी जा रही है। फिलहाल 18 लोगों पर एक्शन किया जा रहा है। जिलाधिकारी नीरज खैरवाल ने इस बात की पुष्टी की है।
सूत्रों का कहना है कि चंद्रपाल सिंह समेत तीन रजिस्ट्रार कानूनगो को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही संविदा पर तैनात डाटा आपरेटर अनुज कुमार को बर्खास्त कर दिया गया है। इसके अलावा अमीन अनिल कुमार को निलंबित किया गया है। इसके साथ नायब तहसीलदार सितारगंज मोहन सिंह, शेर सिंह ग्वाल गदरपुर एवं रघुवीर सिंह के निलंबन की संस्तुति करके मंडलायुक्त को भेजी जा रही है। सूत्रों की मानें तो सहायक चकबंदी अधिकारी निरंजन कुमार एवं चकबंदी कानूनगो अमर सिंह के निलंबन की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा सेवानिवृत हो चुके दो कानूनगो एवं एक एसडीएम के रीडर को भी नोटिस जारी किया गया है।
एनएच घोटाले में अभी अन्य कर्मचारी भी नप सकते हैं, क्योंकि यह जो चिह्नित कर्मचारी हैं वह पूरे जिले की सभी तहसीलों के नहीं हैं। मामले की जांच व कार्रवाई का सिलसिला जारी है। गौरतलब है कि नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहीत की गई जमीन के मुआवजे में खेल किया गया। बैक डेट में जमीनों का भू-उपयोग परिवर्तित करके किसानों को दस गुना अधिक मुआवजा दिया गया। इसमें पटवारी से लेकर एसडीएम तक की मिलीभगत सामने आई। हालांकि एनएच के दो परियोजना निदेशकों एवं क्षेत्रीय अधिकारी राष्ट्रीय राजमार्ग भी इस खेल में शामिल होना पाए गए। इस मामले में एफआईआर भी दर्ज कराई जा चुकी है।
आयुक्त डी सेंथिल पांडियन की जांच रिपोर्ट के बाद करीब एक पखवाड़े पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने घोटाले की जांच सीबीआई से कराने का ऐलान करते हुए छह पीसीएस अफसरों को निलंबित कर दिया था। एक अन्य सेवानिवृत पीसीएस अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई कर दी थी। हालांकि अभी एनएच के अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई है, जबकि इन अधिकारियों एवं कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आ चुकी है।