एनएच घोटाले में राजस्व अहलमद संतराम के खिलाफ जालसाजी का केस दर्ज कर लिया गया है लेकिन इतनी बड़ी जालसाजी में अहलमद की भूमिका प्यांदे भर की लग रही है। घोटाले के असली किरदार अब भी परदे के पीछे हैं। पुलिस ने भी अब तक जांच शुरू नहीं की है, इस कारण जालसाजों को बचने का मौका मिल रहा है।
कुमाऊं कमिश्नर ने अपनी जांच में 170 करोड़ का एनएच घोटाला सार्वजनिक किया है। इनमें सितारगंज तहसील का नाम भी मुख्य रूप से सामने आ रहा है। एसडीएम कार्यालय सितारगंज से कृषि व आवासीय भूमि की मिशलबंद फाइल से पेज फाड़े जाने के बाद एनएच घोटाले की परत खुल सकी। एसडीएम विनोद कुमार ने 19 मार्च को राजस्व अहलमद संतराम के खिलाफ जालसाजी आदि धाराओं में केस दर्ज करा दिया लेकिन करोड़ों के मामले में जालसाजी का चक्रव्यूह रचने वाले संदिग्ध अधिकारियों व कर्मचारियों की प्रकरण से दूरी बनाई गई है।
हालांकि संतराम ने किच्छा राजस्व उपनिरीक्षक खुशाल सह व सितारगंज राजस्व उपनिरीक्षक रामौतार पर दबाव में काम करवाने का आरोप लगाया है। संतराम के आरोपों में कितनी सत्यता है यह तो पुलिस की विवेचना शुरू होने के बाद ही पता चल सकेगा। इतना तो तय है कि एनएच घोटाले में संतराम महज प्यांदा हैं। बजीर की भूमिका तत्कालीन अधिकारियों, राजस्व उपनिरीक्षकों व सफेदपोशों ने निभाई है। पुलिस ने दो दिन पहले इस मामले में केस दर्ज किया है लेकिन अभी तक विवेचना शुरू नहीं की है।