गुरुवार की सुबह निकला सूरज सितारगंज के नौ परिवारों के लिए अंधेरा लेकर आया। आग ने इन परिवारों के भविष्य के सपनों को जला दिया। जहां रोजी-रोटी चली गई, वहीं अशियाना भी छिन गया। सिर छुपाने की जगह तक नहीं बची। एक झटके में ये सारे परिवार खुले आसमान के नीचे आ गए। अब इन्हें पेट पालने के लिए दूसरों की मेहरबानियों का इंतजार है।
सिडकुल स्थापना के साथ ही नौ परिवार रोजी-रोटी के लिए आसपास के क्षेत्रों से आकर बारह साल पहले उकरौली में कैलाश नदी के पास सिडकुल फैक्ट्रियों के पीछे आकर बस गए थे। शिव मंदिर के पास इन परिवारों ने टीन शेड डालकर नौ दुकानों की कच्ची मार्केट बना ली थी। इससे परिवार का भरण-पोषण करते थे। इन परिवारों के पुरूष खनन क्षेत्रों में मजदूरी भी करते है इस दौरान दुकानों को परिवार की महिलाएं संभालती थीं। गुरुवार तड़के जब अमल राय के घर के गैस सिलेंडर में आग लगी तो अधिकांश लोग सो रहे थे। आग को देख कर अमल और उसकी पत्नी सविता के चीखने-चिल्लाने पर सबकी आंखे खुली। किसी तरह दुकानों से बच्चों को लेकर बाहर निकलकर जान बचाई।
अमल की पत्नी घर के बाहर पानी न लाने जाती तो उकरौली में बड़ा हादसा हो सकता था। अमल की पत्नी सविता खनन में मजदूरी पर जाने को पति के लिए खाना बना रही थी। सब्जी गैस पर चढ़ाने के बाद वह पानी लेने के लिए घर के बाहर गई थी। जब वापस लौटी तो सिलेंडर में आग लग चुकी थी। उसकी चीख सुनकर अमल सो रहे दो बच्चों को लेकर बाहर भागा। उसके बाहर निकलते ही सिलेंडर धमाके के साथ फट गया। इसके लिए उसने कहा कि भगवान ने उसे बचा लिया।
पांच सौ मीटर दूर पहुंचने में फायर बिग्रेड कर्मियों को आधा घंटे लग गए। जब पहुंचे भी तो टैंक का पानी भी बहुत कम था। दुकानदार उत्तम ने जब आग बुझाने की गाड़ी पहुंची तो उसके टैंक मे पानी ही कम था। जिसकी वजह से उन्हें पानी लाने के लिए वहां से फिर जाना पड़ा इसी वजह से आग को जल्दी से नही बुझाया जा सका। वही अग्नि शमन अधिकारी सुरेश चंद ने बताया कि सूचना मिलते ही वह मौके पर पहुंच गए थे।