हरि कथा से मिलती है मन को शांति: हरभजन सिंह

0
943

आध्यात्मिक जगत में ऊंच-नीच, गरीब-अमीर, जाति-पाति, वेश-भूषा के प्रति भेदभाव एवं संर्कीणताओं को समाप्त करने के लिए क्षेत्रों एवं भाषाओं के सम्मेलन,एकत्व के लिए यज्ञ, कुंभ, मेलों एवं समागमों का आयोजन किये जाते हैं, जिसकी परम्परा युगों-युगों से होती आई है। मसूरी से पधारे मसूरी जोन के जोनल इन्चार्ज हरभजन सिंह ने संत निरंकारी भवन, हरिद्वार बाईपास पर संतों के उमड़े जनसैलाब को पावन सन्देश देते हुए यह, उद्गार व्यक्त किए।

उन्हाेंने फरमाया कि संसार में विचरण करते हुये कई विकारों की मन पर मैल चढ़ती है, पर इस मैल को चढ़े हुये रंग को धोने का एकमात्र साधन साधु-संगत, सन्तों-भक्तों के साथ मिल-जुलकर बैठकर सत्संग रूपी गंगा बताई है। समागम व सत्संग में आने पर मन पर चढ़ा मैल शब्द रूपी विचारों से धुल जाता है और मन निर्मल और आनन्दित हो जाता है। आपने सचेत करते हुये कहा कि भटकनों से सदा के लिए बचना है, भ्रमों से बचना है तो हर पल सत्संग करना ही एकमात्र विधि है। जिस प्रकार रात-दिन, सुबह-शाम, लाभ-हानि का चक्र है, एक की पूर्ति के बाद दूसरे सुख की लालसा जागती रहती है। सन्त निरंकारी मिशन का निश्चित मत है कि स्थाई सुख अर्थात आनन्द केवल परम पिता परमात्मा परमानन्द से जुड़कर ही मिल सकता है।

अध्यात्म जगत में समागम में भक्त और भगवान का एक विशेष प्रकार का संम्बंध होता है। इस दैवीय-सम्बन्ध से आध्यात्मिक प्रेम प्रकट होता है। वहां विशु़द्ध प्रेम होता है, जहां पर अंग-अंग और भविष्य का जीवन आनन्दित रहता है। प्रेम में दुख खत्म हो जाता है, तभी तो कहा गया कि ‘जब तेरा पता मिल गया, फिर मेरी हैसियत कहां रह गई। मेरा अस्तित्व कहां रहा गया। मैं तो तेरा ही स्वरूप हो गया हूं।

सत्संग समापन से पूर्व अनेकों सन्तों-भक्तों, प्रभु प्रेमियों ने गीतों, प्रवचनों द्वारा संगत को निहाल किया। मंच संचालन विजय रावत ने किया। उन्होंने कहा कि निरंकारी जगत में 70 वर्षों की इस परम्परा और संसार में फैली कुरीतियों को समाप्त करने के लिए 18,19 एवं 20 नवम्बर को 70वां विशाल वार्षिक सन्त-समागम बुराड़ी दिल्ली में होने जा रहा है। समागम द्वारा समस्त विश्व को भाईचारे, एकत्व, समर्पण एवं मानव एकता एवं मानव कल्याण का संदेश दिया जाता है।