ऋषिकेश। जमीनी स्तर पर गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की सरकारी कवायद की हकीकत को देखकर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। उत्तराखंड की मुख्य नदियां और उनकी सहायक नदियों के दोनों किनारे पर 1 किलोमीटर के दायरे में कोई कूड़ा नहीं दिखना चाहिए इसके लिए संबंधित जिलों के डीएम और उप जिलाधिकारियों को व्यक्तिगत रुप से जिम्मेदारी देते हुए 1 सप्ताह का समय दिया है। गंगा की सफाई के लिए तमाम दावे तो किए जाते हैं लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है वर्तमान में नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लेकर केंद्र और राज्य सरकार तमाम कदम उठाने की बात तो कर रही है लेकिन अपने ही घर में गंगा मैली होती जा रही है।बात करें ऋषिकेश की तो यहां भी गंगा में लगातार गंदे नालों का गिरना जारी है साथ ही इसके सहायक नदियां शहर भर के कूड़े से लबालब भरी है। अब हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद गंगा के 1 किलोमीटर के दायरे मकोड़ा प्रतिबंधित करने के आदेश को सभी जिला अधिकारी और उप जिला अधिकारी की जिम्मेदारी तय कर दी है जिन्हें 1 हफ्ते के अंदर यह कार्य करके दिखाना है। वहीँ ऋषिकेश एसडीएम हरगिरि का कहना है की शासन के हर निर्देश का पालन किया जायेगा जिससे गंगा निर्मल हो सके।
अगर बात करें उत्तरकाशी से लेकर ऋषिकेश तक की तो गंगा में और उसकी सहायक नदियों में लगातार कूड़ा सीवरेज और गंदे नालों को डाला जाता है लेकिन अभी तक राज्य सरकार इस और ठोस कदम नहीं उठा पाई है। ऋषिकेश में ही बड़ी आबादी के चलते चंद्रभागा सॉन्ग और खारा स्रोत सारा कूड़ा करकट गंगा में समा जाता है जिसको लेकर लगातार पर्यावरणविद अपनी चिंता जता चुके हैं। लोगों की माने तो गंगा के लिए सिर्फ सरकारी योजनाएं ही काफी नहीं है जबतक हर कोई खुद से इस मुहीम के लिए आगे नहीं आएगा तब तक गंगा की तस्वीर नहीं बदल सकती। लाखों लोगों की आस्था गंगा से जुड़ी है लेकिन करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी गंगा के जल में प्रदूषण साफ देखा जा सकता है अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद बड़ी उम्मीद बनी है की गंगा और उसकी सहायक नदियां कूड़े से मुक्त होगी।