देहरादून, देहरादून के शिक्षित छात्रों के संगठन मेकिंग अ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड) संस्था के सदस्यों ने अपने स्वयंसेवको की एक विशेष टुकड़ी का गठन किया। टुकड़ी के सदस्य शहर भर में घूम कर जल भराव, नदियों के किनारों पर आई बाढ़ आदि जैसी समस्याओं पर एक शोध रिपोर्ट तैयार कर जिला प्रशासन से सांझा करेगा।
मैड संस्था सदस्यों द्वारा बनाई जा रही रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया कि सरकार को यह समझना चाहिए कि हर साल की तरह इस बार भी वह दैवीय आपदा, मूसलाधार बारिश को अपना छुपने का बहाना ना बनाये क्योंकि यह तो देहरादून में होना बहुत स्वाभाविक ही है। अगर कोई दोषी है तो वह सरकार का गलत नीति नियोजन, संतुलित विकास का अभाव, राजनैतिक और नौकरशाही इच्छाशक्ति की कमी है। यही कारण है कि शहर साल दर साल ऐसी समस्याओं से जूझता है। इस बार समस्या को बढ़ाने का काम प्रशासन द्वारा अतिक्रमण पर की गई आधी अधूरी कार्यवाही ने किया है। पूरा अतिक्रमण हटाते हुए भले ही सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन किया लेकिन मलबा ना हटा कर बहुत गैर जिम्मेदाराना रवैया पेश किया जिस से कई जगह जल भराव हुआ है।
रिस्पना और बिंदाल नदियों में आए उफान पर मैड संस्था ने कहा कि एक नदी का बारिश के समय अपने वास्तविक स्वरूप में आ जाना बहुत स्वाभाविक है और इसमें नदी या बारिश को दोष देने की बजाय सरकार को यह समझना चाहिए कि उसे जल्द ही नदी तल पर बसे लोगों का पुनर्वास करना चाहिए और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ खुद कार्यवाही करनी चाहिए। इस विशेष टुकड़ी में सात्विक निझोन, आश्रित गोयल, चेतना भट्ट, शरद माहेश्वरी व शार्दुल असवाल शामिल है।