बाहर की दवाइयां लिख रहे थे डॉक्टर, मिला नोटिस

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देहरादून। दून के सरकारी अस्पतालों में भ्रष्टाचार और धांधली खत्म होने का नाम नहीं ले रही। तमाम कायदे कानून होने के बावजूद चिकित्सकों द्वारा इलाज के लिए बाहरी दवाइयों को लिखा जा रहा है। ताजा मामला कोरोनेशन अस्पताल में सामने आया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला ने ऐसे मामलों से दूर रहने की हिदायत देते हुए चिकित्सकों को अंतिम चेतावनी दी है।

पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय संयुक्त चिकित्सालय कोरोनेशन के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने अस्पताल के चिकित्सकों को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि बीते कुछ वक्त से चिकित्सालय में कार्यरत चिकित्सकों द्वारा रोगियों को अनावश्यक रूप से बाहर की दवाइयां लिखी जा रही हैं। जबकि चिकित्सालय में पर्याप्त मात्रा में उपचार के लिए अनेक प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हैं, जिससे रोगियों का उपचार किया जा सकता है। इतना ही नहीं यह भी देखने में आ रहा है कि चिकित्सालय की दवाइयां से अधिक रोगियों को बाहर से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो कि दुख का विषय है।

उन्होंने कहा कि, राजकीय चिकित्सालय में गरीब रोगी इसीलिए आते हैं क्योंकि वह दवाइयां नहीं खरीद सकते। ऐसे में यदि चिकित्सकों द्वारा बाहर की दवाइयां लिखी जाएंगी तो वे अपना इलाज कैसे करा पाएंगे। उन्होंने चिकित्सकों को मेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखंड शाखा के निर्देशानुसार रोगियों का उपचार किए जाने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि विटामिन व पोषक तत्व से संबंधित दवाइयों के मामलों में भारी भ्रष्टाचार की संभावना रहती है।

जबरन न कराएं टेस्ट
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला ने कहा कि दवाइयों से अलग चिकित्सक मरीज को मामूली व्यथा के लिए खून की जांच, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन आदि के लिए बाहर भेज रहे हैं। यह भारतीय चिकित्सा परिषद के कोड ऑफ मेडिकल एथिक्स के विरुद्ध है। उन्होंने चिकित्सकों को संयम बरतते हुए अपने विवेक का उपयोग करके रोगों की पहचान करने की सलाह दी।

प्रशासनिक कार्रवाई करने की दी चेतावनी
डॉ. रमोला ने चिकित्सकों को एमसीआई के कोड ऑफ मेडिकल एथिक्स का अध्ययन पुन: करने की भी सलाह दी। इसके अलावा उन्होंने राजकीय संयुक्त चिकित्सालय कोरोनेशन में कार्यरत चिकित्सकों को भविष्य में ऐसे मामले सामने आने पर उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी। साथ ही मेडिकल काउंसिल ऑफ उत्तराखंड को भी शिकायत ​करने की बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार निशुल्क उपचार के लिए दृढ़ संकल्प है। ऐसे में किसी भी प्रकार की लापरवाही या भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संबंधित चिकित्सक के खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।