अब 108 एंबुलेंस को ट्रैक कर पाएंगे मरीज, मोबाइल पर दिखेगी लोकेशन

0
1254

दुर्घटना में घायल व्यक्ति, मरीजों को तुरंत उपचार देने के लिए राज्य सरकार 108 ऐप के रूप में एक नई पहल करने जा रही है। इसके तहत एंबुलेंस बुलाने वाले व्यक्ति के मोबाइल पर तुरंत 108 कॉल सेंटर से एक लिंक भेजा जाएगा। इस पर क्लिक करते ही व्यक्ति को एंबुलेंस का नंबर और लाइव लोकेशन दिखने लगेगी। यह भी पता चलेगा कि एंबुलेंस आने में कितना समय लगेगा।

प्रदेश में 108 सेवा के संचालन के लिए नई कंपनी की तलाश शुरू हो गई है। स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें कुछ नए बिंदु भी जोड़े गए हैं। बताया गया कि उक्त एप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकेगा। इसके माध्यम से 108 एंबुलेंस को ठीक उसी ढंग से ट्रैक किया जा सकेगा जैसा किसी कैब सर्विस में किया जाता है।

अभी तक 108 में फोन करने पर कॉल सेंटर में बैठा व्यक्ति पीड़ित को यह कहकर मुक्त हो जाता था कि एंबुलेंस भेज दी है। इसके पहुंचने में कई बार ज्यादा वक्त लग जाता है। ऐसे में समय पर इलाज न मिलने से कई लोगों की जान तक चली जाती है।

अब ऐसा नहीं होगा। एंबुलेंस के बारे में पीड़ित को सही जानकारी मिल सकेगी। इसके अलावा ‘बोट एंबुलेंस’ की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। अभी टिहरी में ऐसी एक एंबुलेंस तैनात है। जिसकी संख्या दो की जाएगी।

एक्सटेंशन पर काम कर रही कंपनी 

8 मार्च 2008 को उत्तराखंड में 108 सेवा का संचालन शुरू किया गया था। उस समय दस साल के लिए प्रदेश सरकार से जीवीके ईएमआरआई से करार किया गया था। वर्तमान में 108 सेवा के पास 139 एंबुलेंस हैं, जबकि 95 खुशियों की सवारी भी अस्पतालों से गर्भवतियों को घर छोडऩे के काम में जुटी हैं।

इसी वर्ष 8 मार्च को कंपनी का सरकार के साथ दस साल का करार खत्म हो गया था। इसके बाद सरकार ने कंपनी को छह माह का एक्सटेंशन दिया था। सितंबर में छह माह का एक्सटेंशन दोबारा दिया गया। इस बीच नए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने इसकी पुष्टि की है।

महानिदेशालय में धूल फांक रहीं एंबुलेंस

स्वास्थ्य महकमा एंबुलेंस खरीद में खासी तेजी दिखा रहा है। पहले 61 एंबुलेंस विभाग ने क्रय कीं, जिनमें अधिकतर अभी भी स्वास्थ्य महानिदेशालय में खड़ी धूल फांक रही हैं। अब विभाग ने 78 एम्बुलेंस और खरीदी हैं। जिनमें 29 वाहन महानिदेशालय में पहुंच भी गए हैं।

इससे पहले भी एंबुलेंस खरीद और उनके जनपदों तक न पहुंचने के मामले में विभाग के साथ साथ सरकार को भी फजीहत झेलनी पड़ी थी। अब फिर वही स्थिति बन रही है।