ऋषिकेश। विश्व के 15 से अधिक देशों से आये प्रवासी भारतीयों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज से भेंट कर आशीर्वाद लिया। तत्पश्चात दल के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन की गंगा आरती में सहभाग किया।
प्रवासी भारतीयों के दल में दुबई, बैंकॉक, अमेरिका, इंग्लैण्ड, अबू धाबी व दुनिया के अन्य देशों के सैलानी परमार्थ निकेतन आये। वे परमार्थ तट पर मां गंगा की दिव्यता देखकर अभिभूत हुए।
स्वामी चिदानंद महाराज ने दल के सदस्यों से मां गंगा की निर्मलता और अविरलता, भारत स्वच्छता अभियान, संस्कृत का व्यापक विस्तार, युवा पीढ़ी में नैतिक आचरण के सुदृढ़ीकरण, वैश्विक शान्ति तथा प्राचीन संस्कारों, परम्पराओं और सभ्यता को युवा पीढ़ी में स्थानांतरित करने जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने प्रवासी भारतीयों को अपनी जड़ों, मातृभाषा और मातृभूमि से जुड़े रहने का सन्देश दिया और कहा, भारतीय भाषा, भारतीयता की पहचान है। आप कहीं भी निवास करेेें परन्तु आपने हृदय में हमेशा भारतीयता समाहित करके रखना, देशभक्ति, आध्यात्मिकता और वसुधैव कुटुम्बकम् की मशाल के वाहक बने रहना।
स्वामी चिदानंद महाराज ने प्रवासी भारतीयों से आह्वान किया कि वे भारत में सस्टेनेबल डेवलपमेंट (सतत विकास), स्वच्छ जल, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं पर सार्वभौमिक पहुंच बनाने के लिए सहयोग प्रदान करे। दल के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन पहुंचकर गंगा स्नान और गंगा आरती का आनन्द लिया। उन्होंने स्वामी और साध्वी भगवती सरस्वती से आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा की तथा अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
प्रवासी भारतीय दल के सदस्यों ने कहा कि हमने संचार साधनों के माध्यम से गंगा में बढ़ते प्रदूषण के विषय में सुना था परन्तु परमार्थ गंगा तट पर आकर जो आत्मिक शान्ति का अनुभव हुआ उससे हृदय अभिभूत हो उठा। स्वामी चिदानंद महाराज ने दल के सदस्यों को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। विश्व स्तर पर स्वच्छ जल, स्वच्छता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना से स्वामी , साध्वी भगवती सरस्वती, नन्दिनी त्रिपाठी , परमार्थ गुरुकुल के ऋषिकुमारों और आचार्यो के साथ विश्व ग्लेाब का जलाभिषेक किया। इसके बादसभी ने दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया।