उत्तराखंड में सरकार से वार्ता विफल होने के बाद जनरल ओबीसी कर्मचारी सोमवार से बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं। कर्मचारियों के इस रवैये पर शासन ने भी सोमवार को कड़ा रुख अपनाते हुए ‘काम नहीं तो वेतन नहीं’ का फरमान सुना दिया। सरकार के इस आदेश ने आग में घी डालने का काम किया। हड़ताली कर्मचारी जहां एक तरफ बेमियादी हड़ताल पर हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने 5 मार्च से बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी आपातकालीन सेवाएं भी ठप करने का ऐलान किया है।
जनरल-ओबीसी कर्मचारी यूनियन की पूर्व घोषणा के अनुसार सोमवार को सभी जिलों में कर्मचारी पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ बेमियादी हड़ताल पर चले गए। हड़ताली कर्मचारियों ने जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन भी किया। दो दिन पहले मुख्य सचिव ने कर्मचारियों से हड़ताल पर न जाने का आग्रह किया था लेकिन कर्मचारी नहीं माने और हड़ताल पर चले गए।
कर्मचारियों के इस रवैये को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने सोमवार सुबह ‘काम नहीं तो वेतन नही’ का आदेश जारी कर दिया। यह आदेश मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने जारी किया है। देहरादून में राज्य सचिवालय और विभागों व कार्यालयों के जनरल ओबीसी कर्मचारियों ने परेड ग्राउंड में एकत्र होकर प्रदर्शन किया। तमाम राजकीय विभागों में कामकाज ठप रहा। कर्मचारियों के इस रवैये को देखते हुए पुलिस और खुफिया विभाग अलर्ट मोड पर हैं।
उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इम्प्लाइज एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव बीरेन्द्र सिंह गुंसाईं ने शाम पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार से हम बार-बार अनुरोध कर रहे हैं लेकिन सरकार हमारी बात सुन नहीं रही है। नतीजतन, कर्मचारियों को हड़ताल का रास्ता मजबूरी में चुनना पड़ा। उन्होंने कहा कि सरकार एकतरफा आदेश पारित कर रही है, जो गैरवाजिब है। कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर जरूर गए हैं लेकिन अभी बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी आपातकालीन सेवाओं को हड़ताल से अलग रखा गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस तरह से आदेश पारित किए हैं, उसे देखते हुए हड़ताली कर्मचारी मंगलवार को भराड़ीसैंण में विधानसभा का घेराव करेंगे। उल्लेखनीय है कि मंगलवार से चमोली जिले के गैरसैंण के भराड़ीसैंण में विधानसभा का बजट सत्र शुरू होगा। कर्मचारी नेता बीरेन्द्र सिंह गुंसाईं ने कहा कि 5 मार्च से बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कर्मचारी भी हड़ताल पर चले जाएंगे।