गोपेश्वर, चमोली जिले के कर्णप्रयाग में शहीद स्मृति बेनीताल विकास समिति ने उत्तराखंड के 18 साल, पहाड़ बेहाल, जनपद चमोली में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल, कौन है इसका जिम्मेदार विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में पहाड़ो में बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा की गई।
ब्लाॅक सभागार में आयोजित स्वास्थ्य जागरुकता सेमिनार में वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड को बने 18 वर्ष से अधिक समय बीत चुका है। पृथक राज्य बनने से लोगों को बेहतर विकास की आस थी। लेकिन सरकारों ने पहाड़ी क्षेत्रों के अनुरूप मैदानी इलाकों में विकास किया गया। शहीद स्मृति बैनीताल विकास समिति के वीरेंद्र सिंह मिंगलवाल, संजय रावत, ने कहा कि जिस प्रकार से उत्तराख्ंाड राज्य बनने से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं की आस जगी थी। लेकिन ठीक इसके विपरीत होते हुए आज लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए मैदानी इलाकों के लिए पलायन कर रहे है।
पूर्व राज्य मंत्री सुर्रदर्शन सिंह कठैत ने कहा कि पहाड़ो के अस्पतालों में विशेषज्ञ डाॅक्टरों की कमी बनी हुई। जिस कारण रोगियों को इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर करना आम बात हो गया है। वहीं, अस्पतालों में बिना उपकरणों के इलाज किया जा रहा है और पहाड़ों में प्रसव की सुविधा न होने से बच्चें सड़को मे पैदा हो रहे है। जन कल्याण प्रबंध समिति के सुभाष चमोला ने कहा कि लोगों ने पुरानी एलौपैथिक, होमोयोपैथिक आदि घरेलु इलाजों को भुला दिया है।
पीएमकेवाई के प्रबंधक सचिन सोंलकी, प्रधान संगठन के अध्यक्ष खिलदेव सिंह रावत ने कहा कि सरकारों ने पुरानी स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने का प्रयास नहीं किया गया। पुराने जमाने में घरों में भी प्रसव होते थे। लेकिन सरकारों द्वारा इस प्रकार की घरेलू सुविधाओं के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई थी। जिससे लोगों पुराने घरेलु इलाजों को भूल चुके है। इस मौके पर व्यापार संघ के उपाध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत, अंशी देवी, राकेश कोटियाल, विक्रम नेगी, पंकज लडोला, लक्की अली, हरीश चैहान आदि मौजूद थे।