गोपेश्वर। अब तक आपने जम्मू कश्मीर के अमरनाथ में बर्फ से शिव लिंग को आकृति लेने के बात सुनी होगी लेकिन चमोली जिले के सीमावर्ती गांव नीती में भी बाबा बर्फानी आकृति लेते हैं। कहने और सुनने में जरा आश्चर्य सा लगता है पर यह सच है। ऐसा आज से नहीं बल्कि वर्षों से होता आ रहा है लेकिन इस स्थान को पर्यटन के मानचित्र पर पहचान न मिलने के कारण आज भी गुमनामी में है।
गुमनामी के अंधेरे में छिपा यह स्थान चमोली जिले में भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र के नीती गांव के समीप स्थित टिम्मरसैंण महादेव गुफा के नाम से जाना जाता है। यहां पर हर वर्ष शीतकाल में बर्फ का 10 फीट ऊंचाई का शिव लिंग प्रकट होता है। लेकिन इस मंदिर का प्रचार-प्रसार न होने के चलते वर्तमान तक यहां कुछ एक स्थानीय लोगों के आलावा कोई भी नहीं पहुंच पाता है। यदि सरकार की ओर इस ओर पहल की जाती है। तो नीति घाटी में शीतकालीन पर्यटन को लेकर अपार संभावना हैं।
क्या कहते हैं स्थानीय ग्रामीण
क्षेत्र के सतेंद्र पाल, भीम सिंह खाती और राजेंद्र सिंह का कहना है कि वर्ष 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध से पूर्व शीतकाल में भी श्रद्धालु टिम्मरसैंण महादेव स्थिति बाबा बर्फानी के दर्शनों को पहुंचते थे। भारत-चीन युद्ध के बाद इस क्षेत्र में शीतकाल में सुरक्षा की दृष्टि से आना जाना बंद ही रहता है। कहते है कि मंदिर में दिसंबर माह में बर्फबारी के साथ ही यहां बाबा बर्फानी अपने स्वरूप में प्रकट हो जाते हैं और मार्च माह तक करीब 10 फीट ऊंचा शिव लिंग बन जाता है जिसके दर्शन किये जा सकते हैं।स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जब कभी क्षेत्र में कम बर्फबारी होती है तो ऐसी दशा में भी टिम्मरसैण में बाबा बर्फानी के दर्शन होते हैं।
क्षेत्र के निवासी और अपर आयुक्त गढवाल मंडल पौडी गढवाल कहते हैं कि टिम्मरसैण के लिए कार्य योजना तैयारी की जा रही है। इस बार एक से 10 मार्च तक यात्रा के आयोजन की तैयारी की जा रही है और आगामी वर्षों में इस समय को बढ़ाने पर भी योजना अमल में लायी जा रही है।