मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने समाचार पत्रों में ओएनजीसी मुख्यालय के दिल्ली शिफ्ट होने सम्बंधी खबर पर मंगलवार को केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से टेलीफोन पर बात की। प्रधान ने मुख्यमंत्री को बताया कि ओएनजीसी मुख्यालय को दिल्ली शिफ्ट करने की कोई केंद्र या ओएनजीसी केी कोई योजना नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि ओएनजीसी के परमानेंट अकाउंट नंबर को भी उत्तराखण्ड से दिल्ली शिफ्ट नहीं किया जाएगा।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ओएनजीसी का उत्तराखण्ड से बहुत पुराना और मजबूत सम्बंध है। ओएनजीसी और उत्तराखण्ड दोनों ही एक दूसरे के हितों के पूरक हैं और इस प्रकार की कोई भी कार्यवाही नहीं की जाएगी जिससे उत्तराखण्ड को कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हानि होती हो।
दरअसल राज्य सरकार में उस समय हड़कंप मच गया जब मीडिया में ये खबर आई कि ओएनजीसी ने उत्तराखंड आयकर कार्यालय में कंपनी का पैन कार्ड नंबर देहरादून से दिल्ली ट्रांस्फर करने की अर्जी डाली है। इस खबर के चलते इन बातों को भी बल मिला कि ये कदम ओएनजीसी का मुख्यालय देहरादून से दिल्ली शिफ्ट किया जा सकता है। दरअसल दुनिया की सबसे बड़ी तेल क्ंपनी ओएनजीसी का मुख्यालय देहरादून में होने के कारण उत्तराखंड के कोटे में करीब 8000 करोड़ राजस्व/टैक्स के रूप में सालाना जमा होता है। इसलिये अगर ओएनजीसी का मुख्यालय देहरादून से बाहर जाता है तो उत्तराखंड के सामने एक बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है।
बहरहाल केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री के आश्वासन के बाद राज्य सरकार ने राहत की सांस ज़रूर ली है।