नैनीताल, उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की दुर्लभ पुस्तकें, मानचित्र, पांडुलिपियां और ऑडियो-वीडियो अब ‘डिजिटल’ प्रारूप में निशुल्क डाउनलोड के लिए एक वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे। प्रदेश के सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में काम कर रहे कुछ युवाओं ने प्रदेश के दिवंगत जनकवि गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ की जयंती पर कुमाऊं आरचीव्स डॉट कॉम नाम से एक नई वेबसाइट शुरू की है। इस वेबसाइट पर अब तक कुमाउनी, हिंदी, अंग्रेजी भाषा की कुमाऊं से संबंधित 100 से अधिक दुर्लभ पुस्तकें, मानचित्र और ऑडियो उपलब्ध हैं, जिन्हें देखा, पढ़ा और डाउनलोड किया जा सकता है। इनमें से कुछ किताबें ऐसी भी हैं जो 19वीं शताब्दी में प्रकाशित हुई थीं। साथ ही इस संग्रह में नई सामग्री जोड़ने का काम लगातार जारी है।
वेबसाइट के निर्माता दिल्ली निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हिमांशु पाठक ने बताया कि सोशल मीडिया पर डॉ. सुरेश पंत के साथ बातचीत के दौरान ऐसी वेबसाइट का विचार उभरा जहां पुराने अभिलेखों और अनुपलब्ध पुस्तकों को डिजिटल रूप में सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि यह संग्रह शोधार्थियों और पढ़ने के शौकीन लोगों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रहा है। वेबसाइट के ऑनलाइन उद्घाटन के अवसर पर नैनीताल से स्व. गिर्दा की धर्मपत्नी हीरा तिवारी की मौजूदगी में युवा गायिका ज्योति उप्रेती सती ने गिर्दा का प्रसिद्ध गीत ‘हम लड़ते रुला’ गाया।
‘डिजिटल युग में क्षेत्रीय भाषाओं का संरक्षण’ विषय पर हुई ऑनलाइन संगोष्ठी की अध्यक्षता भाषाविद डॉ. सुरेश पन्त ने और संचालन वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी ने किया, जबकि वक्ताओं के रूप में इतिहासकार डॉ. शेखर पाठक, लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी, उत्तराखंड के भूतपूर्व मुख्य सचिव नृप सिंह नपलच्याल, डॉ. हयात सिंह रावत, भीष्म कुकरेती, कवि मदन डुकलान, हेमंत बिष्ट, सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ कमल कर्नाटक व मनोज भट्ट शामिल हुए।