ईराणी गांवः सिग्नल नहीं मिलता भाई, बच्चों की पढ़ाई, खड़ी चढ़ाई

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खड़ी चढाई
(गोपेश्वर) चमोली जिले के दशोली विकास खंड का ईराणी गांव संचार क्रांति की नन्ही सी किरण के लिए तरस रहा है। इस गांव के इंटर कालेज में पढ़ने वाले बच्चे चार किलोमीटर की खड़ी चढाई चढ़ कर नेटवर्क क्षेत्र में पहुंचकर पढ़ाई करने को विवश हैं। दरअसल लॉक डाउन में शिक्षण संस्थाएं बंद हैं। बच्चों को ऑनलाइन पढ़ने का विकल्प दिया गया है।
ग्रामीणों का सवाल है कि आखिर उनका कसूर क्या है? उनके यहां मोबाइल नेटवर्क का बंदोबस्त क्यों नहीं किया जाता। अगर चार किलोमीटर की पैदल चढाई के दौरान बच्चों के साथ हादसा हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। यह बच्चे चढ़ाई चढ़ने के बाद संकटाधार तौक में जहां-तहां मोबाइल के सिग्नल मिलने पर अध्यापकों से संपर्क कर पढ़ाई कर रहे हैं। नौवीं और दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले इन बच्चों ने पांच-पांच का ग्रुप बना लिया है। यह लोग चढ़ाई और पढ़ाई के दौरान शारीरिक दूरी का भी ख्याल रख रहे हैं।
ऐसे बच्चों में शिवम, सविता, वंदना, सचिन, गौरव, कविता, विकास, महिमा, संदीप आदि शामिल हैं। इनका दर्द यह है कि खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बावजूद  बड़ी मुश्किल में कहीं-कहीं सिग्नल मिलता है। अभिभावक प्रेम सिंह, मनवर सिंह, नत्थी सिंह व विजय सिंह का कहना है कि बच्चों के जाते ही आशंकाओं से मन भर जाता है। जब तक लौट नहीं आते चिंता सताती रहती है।
प्रधान मोहन सिंह नेगी का कहना है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक से पत्र लिखकर गुहार लगाई जा चुकी है। तीन साल पहले केंद्रीय संचार मंत्रालय से एक पत्र का जबाव आया था। मगर कागजी घोड़ा कहां खड़ा कर दिया गया पता नहीं। मोबाइल नेटवर्क न होने से मरीजों को 108 सेवा भी उपलब्ध नहीं हो पाती है।
इस क्षेत्र के निवासी भाजपा जिलाध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट कहते हैं कि पत्राचार का कोई फायदा नहीं हुआ। लाॅक डाउन से पहले एक प्राइवेट नेटवर्क कंपनी ने क्षेत्र में सर्वे किया था। लाॅक डाउन खुलने पर दोबारा प्रयास किया जाएगा। बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट का कहना है कि चमोली जिले के संचार विहीन क्षेत्रों में टावर लगाने के लिए केंद्रीय संचार मंत्रालय को पत्र भेजा गया है। मंत्रालय ने सकारात्मक जवाब दिया है।  जल्द ही इन सभी क्षेत्रों को संचार से जोड़ दिया जाएगा।