(देहरादून) बीते दिनों राज्य सरकार द्वारा जारी की गई एक रिर्पोट उत्तराखंड इकोऩॉमिक सर्वे ने इस बात का खुलासा किया है कि राज्य के सभी सरकारी स्कूलों को मिलाकर केवल 10 प्रतिशत स्कूल के बच्चों के लिए कंप्यूटर हैं।
कंप्युटर के साथ-साथ कुछ बेसिक सुविधाएं जैसे कि लाइब्रेरी, लड़कियों के लिए अलग शौचालय के साथ-साथ कहीं पानी और बिजली की सुविधा भी नहीं हैं।
रिर्पोट के अनुसार पहाड़ी राज्य में लगभग 14,416 सरकारी स्कूल हैं। जिसमें से लगभग ढाई हजारे स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं है। इन स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचरों की संख्या 34,640 है जबकि डाटा के अनुसार 6,43,903 कुल बच्चे इन स्कूलों में पढ़ रहे हैं।
जब कंप्यूटर की कमी के बारे में शिक्षा सचिव आर.मीनाक्षी सुंदरम से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारी योजना है कि हम कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉसिंबिलीटी के फंड से सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर उपलब्ध करा सकें जिससे राज्य में कंप्यूटर शिक्षा का स्तर बढ़ सके।इसके अलावा हम केंद्र सरकार की योजना समग्र शिक्षा स्कीम के जरिए स्कूलों की दशा सुधारने पर भी काम कर रहें हैं।
इसी मामले में उत्तराखंड आईटी डेवलेपमेंट ऑथॉरिटी अमिता सिन्हा ने कहा कि स्कूलों में कंप्यूटर की कमी के बारे में हमें पता हैं और इसके लिए हम प्रपोजल तैयार कर रहे है जिससे सभी स्कूलों में ना केवल कंप्यूटर की व्यवस्था की जाएगी साथ ही लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाएगा।
हालांकि जब हमने बिजली की कमी के बारे में उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर बी.के मिश्रा से बात की तो उन्होंने कहा कि अगर कुछ ऐसे स्कूल हैं जिसमें बिजली नहीं पहुंच पाई है तो हम जरुर इसपर एक्शन लेंगे और जल्द से जल्द उन स्कूलों में बिजली पहुंचाऐंगे।
ध्यान देने वाली बात यह है कि एनवल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिर्पोट 2018 के अनुसार उत्तराखंड राज्य महाराष्ट्र(64.6), केरला (74.5), तमिल नाडु (57.9), पंजाब (21.5), हरियाणा (18.3) जैसे राज्यों से कंप्यूटर की शिक्षा में पीछे हैं। हालांकि पहाड़ी राज्य कुछ राज्यों से बेहतर स्थान में है जैसे कि हिमाचल प्रदेश(6.6), मध्य प्रदेश(3.8), झारखंड(6.6), असम(6.5) और उत्तर प्रदेश(3.5)।