(रुद्रपुर) शराब की ओवर रेटिंग रोक लगाने में आबकारी विभाग लागातर नाकामयाब शाबित हो रहा है। विभागि के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहे ओवररेटिंग के खेल को लेकर सूबे के अाबकारी मंत्री भले ही सोशल मीडिया के सहारे लोगों को जागरुक कर रहे हों लेकिन अधिकारी है कि उनकी कानों में जूं तक नहीं रेंगती। शराब की दुकानों के सेल्समैन बेखौफ होकर नियमों को ताक पर रख कर शराब की बिक्री कर रहें हैं।
आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से चल रहे ओवर रेटिंग के खेल को रोकने के भले ही सूबे के आबकारी मंत्री कितने ही जतन कर लें लेकिन ओवर रेंटिंग पर लगाम लगती दिखाई नहीं दे रही है। अफसर सिर्फ दिखावे के लिए कार्रवाई करते हैं। इस अर्थदंड की कार्रवाई का उन्हें कोई भय नहीं दिखता, क्योंकि प्रतिदिन वह लाखों रुपये की ओवर रेटिंग कर लेते हैं। उत्तराखंड आबकारी मंत्री प्रकाश पंत और आबकारी विभाग लगाम कसने में लगे हों लेकिन ओवर रेटिंग नहीं रोक पा रहे हैं। हर दूसरे दिन शराब की ओवररेटिंग को लेकर शिकायतें आती हैं, जिनके समाधान में मंत्री पंत जुटे रहते हैं। पिछले दिनों उन्होंने ओवर रेटिंग रोकने के लिए अभियान भी चलाया था, मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा। आबकारी विभाग के अफसरों की कार्रवाई ओवर रेटिंग पर भारी पड़ रही है। महानगर में खुलेआम ओवर रेटिंग हो रही है, मगर उसे रोकने के कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। यूं तो पूरे जिले में ही शराब की ओवर रेटिंग हो रही है। खुद आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने रुद्रपुर में अपने पीए को भेज कर शराब मंगाई तो ओवर रेटिंग मिली, लेकिन ओवर रेटिंग पर प्रभावी नियंत्रण करने में आबकारी विभाग के अधिकारी विफल साबित हो रहे हैं।
सेल्समैन धड़ल्ले से ओवर रेटिंग करते हैं और प्रशासन मूकदर्शक बना रहता है। ऐसा नहीं है कि आबकारी विभाग इन सब गतिविधियों से अनभिज्ञ है, मगर वह जानबूझ कर आंखें मूंदे रहता है। ऐसा लगता है कि लाखों रुपये की ओवर रेटिंग की बंदरबांट में सब शामिल रहते हैं। आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर से लेकर आबकारी अधिकारी तक का रटा रटाया बयान रहता है कि शिकायत मिलती है तो वह कार्रवाई करते हैं। लेकिन आज तक किसी का लाइसेंस निलंबित नहीं हुआ, जबकि ओवर रेटिंग रोज होती है। आखिर ऐसी कार्रवाई का क्या फायदा? जिससे ओवर रेटिंग न रुक सके।