दक्षिण भारत में उत्तराखंड के रंग बिखरे “पहाड़ी कनेक्ट” में

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Pahadi Connect programme organised in banglore
Pahadi Connect

उत्तराखंड की धरोहरों को बचाने के लिए बहुत से लोग सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के लोग मिलकर काम कर रहे हैं । व्यक्तिगत और संस्थाएं भी इस मुहिम में और ऐसे कामों में लगी हुई हैं । कुछ ऐसे ही काम उत्तराखंड महासंघ बेंगलुरु ने इस शनिवार व रविवार को आयोजित किया गया।

अपनी बोली भाषा व संस्कृति को आने वाली पीढ़ी से जोड़ने के लिए ईगल्स अनबाउंड में आयोजित पहाड़ी कनेक्ट कार्यक्रम में प्रवासी उत्तराखंडियों ने उत्तराखंड की आंचलिक भाषा कुमाऊनी-गढ़वाली के आम तौर पर प्रयोग होने वाले शब्दों के साथ साथ अपने तीज त्योहारों, लोकनृत्यों, संगीत की जानकारी व पहाड़ी व्यंजनों का भी आनंद लिया। कार्यक्रम में शामिल लोगों को पूरी तरह से पहाड़ी खाना मिला। उत्तराखंड में निर्मित कोदे/मंडवे के बिस्कुट, पिसा नमक, पहाड़ी पेय “बुरांस का जूस” व बाल मिठाई को मालू के पत्तों से निर्मित दोने पत्तल में परोसा गया। कार्यक्रम में बेंगलुरु के पतंजलि प्रमुख व उत्तराखंड मूल के कैप्टेन राजेंद्र सिंह (रिट.)ने कार्यक्रम में जुटे लोगों को योग सिखाया व उत्तराखंड में योग के लिए आमंत्रित किया।

कार्यक्रम के संयोजक रमन शैली ने बताया की युवाओं में अपनी बोली भाषा व संस्कृति के प्रति बढ़ते हुए रुझान को देखकर इस कार्यकर्म की रुपरेखा तय की गई।मुख्य अतिथि मेज. जन. वीपीएस भाकुनी ने कार्यक्रम के दौरान अपने कुमाऊनी में दिए सम्बोधन से क्षेत्रीय भाषाओँ को बढ़ावा देने व बेहतर उत्तराखंड बनाने के क्षेत्र में पूर्ण सहयोग की बात कही।

उत्तराखंड मूल की अदिति जोशी के कैंसर जागरूकता स्टार्टअप,सी पॉजिटिव की ओर से कुमाऊनी गढ़वाली क्लास ले रही दीपाली तिवारी व सुषमा कुकरेती जी को सम्मानित किया। उत्तराखंड महासंघ के अनुज जोशी व ललित सनवाल ने सभी को धन्यवाद दिया। कर्यक्रम में पवन रावत, सोहन रावत, रोमिल आदि का विशेष योगदान रहा।